सर्दी का मौसम कवियों को मुबारक और स्कूल जाने वाले उन बच्चों को जिनकी छुट्टी पहले एक महीने की होती है, फिर बढ़ते बढ़ते डेढ़ दो महीने तक पहुंच जाती है. हमारे यानी कामकाजी उम्र के लोगों के लिए सर्दी में कुछ नहीं रखा. बस सोने में मज़ा आता है, लेकिन चैन की नींद मिलती कहां है! रात भर की जद्दोजहद के बाद जब जब रज़ाई परफ़ेक्ट टेंपरेचर पर गर्म होती है, तब उसे छोड़ कर ऑफ़िस जाने का वक़्त हो चुका होता है. 

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लोग कहते हैं गर्मियों में कपड़े बहुत धोने पड़ते हैं, पसीने की वजह से उनमें बदबू आने लगते हैं, सर्दियों में राहत है. लेकिन गर्मियों में पैंट शर्ट जींस धोना आसान है. स्वेटर, स्वेट शर्ट, ऊनी कपड़ों को धोना और उन्हें सुखाने का झंझट गर्मियों से ज़्यादा है. सबसे बड़ी मुसीबत तो पानी को हाथ लगाने का ही है. कपड़े क्या! ख़ुद की धोने में आहत आती है. वो तो भला हो अंग्रेज़ों का जो वेस्टर्न टॉयलेट और टिशु पेपर बना गए. 

दिल्ली में होने के कारण सर्दी की वजह से देश के बाकी नागरिकों से ज़्यादा परेशान होता हूं. इसी पशोपेश में मौसम निकल जाता है कि सामने जो हंसीं नज़ारा है वो Fog वाल है या Smog वाला? 

दिन के दो आर्टिकल तो आपकी हमारे वेबसाइट पर पढ़ लेंगे कि दिल्ली में जो हवा बह रही है वो हद दर्जे की ज़हरीली है. एक डरा हुआ इंसाम क्या मौसम का मज़ा लेगा, वो ज़ोर से सांस नहीं ले सकता. 

हां, अगर कपलत्व को प्राप्त कर गए हैं(कपल हैं) तो इस मौसम में अपने साथी के हाथों में हाथ डाल कर घूमने का अपना सुकून है. लेकिन दिल्ली वालों को यहां भी डर है. ‘हरियाणवी ताई’ का वीडियो वायरल होने के बाद पड़ोस की कई अंटियों की आंखों में मैंने वायरल होने की महत्वकांक्षा देखी है. बस उन्हें सही जोड़ा नहीं मिल रहा है, जो मिलते भी हैं वो उनके ही परिवार के बच्चे होते हैं. 

ये मौसम बेवड़ों के भी मन माफ़िक है. सिर्फ़ शराब के शौक़ीन नहीं, चाय के भी चरसी होते हैं. इन्हें अपने शरीर को ख़ून से गर्म नहीं करना, ये चाय/शराब की गर्मी चाहिए, तभी इनका दिल बराबर धड़कता है. 

सर्दी का एक फ़ायदा है कि इस मौसम में रोज़ाना नहाने का समाजिक दबाव नहीं होता, क्योंकि समाज में कोई रोज़ नहीं नहा रहा होता है. जो कुछ असमाजिक तत्व रोज़ नहाते भी हैं दसूरों पर ताना कसते रहते हैं, उनको बता दूं कि उन तानों फ़र्क नहीं पड़ता क्योंकि न नहाने की वजह चमड़ी काफ़ी मोटी हो जाती है.