भारत विविधताओं से भरा देश है. यहां कई संस्कृतियां, कई रिवाज़ और कई प्रथाएं भी हैं. एक कहावत है कि एक कोस पर लोगों की बोली बदल जाती, रिवाज़ बदल जाता है. इतनी विविधताओं के बावजूद भी हम एक हैं. लेकिन देश में कई बार ऐसे मौके आए हैं जब हमारी एकता पर किसी ने बुरी नज़र लगाने की कोशिश की है और वे अपने मक़सद में सफ़ल भी हो गए हैं. किसी ने सत्ता की कुर्सी पाने के लिए, तो किसी ने धर्म की आड़ में ये सब किया. आज़ादी से पहले और आज़ादी के बाद देश में कई दर्दनाक दंगे हुए, जिसमें मानवता ही मरी है. आइए आपको बताते हैं भारत के 11 ऐसे दंगों के बारे में जिन्हें हम फ़िर से कभी नहीं दोहराना चाहेंगे.

1. कलकत्ता दंगा (1946)

सन 1946 में कलकत्ता में हुए इन दंगों को “डायरेक्ट एक्शन दिवस” के नाम से भी जाना जाता है. इसमें 4,000 लोगों ने अपनी जानें गंवाई थी, और 10,000 से भी ज़्यादा लोग घायल हुए थे. हिंदू-मुस्लिम समुदाय में होने वाली हिंसा के कारण यह दंगा हुआ था.

2. सिख-विरोधी दंगा (1984)

31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी की मौत पर इस दंगे की शुरुआत हुई थी. इंदिरा गांधी के सिख अंगरक्षकों ने ही उनकी हत्या कर दी. इसके परिणामस्वरूप अगले ही दिन इस दंगे की शुरुआत हुई जो कई दिनों तक चला. इस दंगे में 800 से ज़्यादा सिखों की हत्या हुई थी.

3. कश्मीर दंगा (1986)

यह दंगा कश्मीर में मुस्लिम कट्टरपंथी द्वारा कश्मीरी पंडितों को राज्य से बाहर निकालने के कारण हुआ था. इस दंगे में 1000 से भी ज़्यादा लोगों की जानें गयी थीं और कई हज़ार कश्मीरी पंडित बेघर हो गये थे.

4. वाराणसी दंगा (1989)

वाराणसी को आस्था का शहर माना जाता है. इस पवित्र शहर में क्रमवार 1989, 1990 और 1992 में भयंकर दंगे हुए थे. यह दंगे मुख्यत: हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच पूजा विवाद के कारण हुए थे. इस हिंसा में कई लोगों की जानें गईं और कई लोग बेघर हुए.

5. भागलपुर दंगा (1989)

भागलपुर दंगा 1947 के बाद, भारतीय इतिहास के सबसे क्रूर दंगों में से एक था. यह दंगा अक्टूबर 1989 को भागलपुर में हुआ था. इसमें मुख्य रूप से हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल थे. इसके कारण करीब 1000 से ज़्यादा निर्दोषों को अपनी जानें गंवानी पड़ी.

6. मुंबई दंगा (1992)

इस दंगे की मुख्य वजह बाबरी मस्जिद का विध्वंस था. इस हिंसा की शुरुआत दिसंबर में 1992 में हुई थी जो 1993 के जनवरी तक चली. इसमें करीब सैकड़ों लोगों की जानें गईं.

7. गुजरात दंगा (2002)

वैसे तो देश में कई दंगे हुए, लेकिन गुजरात दंगे को देश के सबसे भयंकर दंगे के रूप में देखा जाता है. इसकी शुरुआत 2002 में हुई थी, जब कारसेवक अयोध्या से गुजरात साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन से लौट रहे थे. इसी बीच कुछ असामाजिक तत्वों ने इस ट्रेन की कई बोगियों को गोधरा में जला दिया. इस घटना में 59 कारसेवकों की मौत हो गई. बाद में प्रतिकार के रूप में यह घटना एक बड़े दंगे के रूप में तब्दिल हो गयी, जिसमें करीब 2000 लोगों की जानें गईं और लाखों लोगों को बेघर होना पड़ा.

8. अलीगढ़ दंगा (2006)

अलीगढ़ को उत्तर प्रदेश का सांप्रदायिक दंगों से ग्रस्त शहर भी कहा जाता है. 5 अप्रैल 2006 को हिन्दुओं के पवित्र पर्व रामनवमी के अवसर पर हिंदू और मुसलमानों के बीच बहुत हिंसक दंगा हुआ, जिसमें 6-7 लोगों की मौत हो गई. यहां अकसर इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं.

 9. देगंगा दंगा (2010)

पश्चिम बंगाल के देगंगा में कुछ अतिवादियों ने हिन्दू मंदिरों को तोड़ दिया, और मंदिर के खजाने को लूट लिया. इसके परिणाम में कई लोगों की हत्याएं हुईं और कई लोगों को बेघर होना पड़ा.

10. असम दंगा (2012)

यह दंगा असम के कोकराझार में रह रहे बोडो जनजाती और बांग्लादेशी घुसपैठियों के बीच हुआ था. इस दंगे में करीब 80 लोगों की मौत हुई और लाखों लोग बेघर हुए. यह मानव इतिहास का सबसे भयावह दंगा है.

11. मुज़फ्फरनगर दंगा (2013)

उत्तरप्रदेश में कई ऐसे जिले हैं जो मुस्लिम बहुल हैं. मुज़फ्फरनगर उन्हीं जिलों में से एक है. 2013 में हिंदू और मुसलमान समुदाय के बीच भयानक दंगा हुआ जिसमें 48 लोगों की जानें गईं और 93 लोग घायल हुए. हालांकि यह मामला अब पूरी तरह से राजनीतिक हो चुका है.

देश के कई महात्मा कहा करते हैं कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. लेकिन इंसान बहकावे में आकर, धर्म और आस्था की आड़ में एक-दूसरे का ख़ून बहाता है. इन सब फसादों के कारण हमारा विकास और देश की प्रगति रूक रही है.