आज-कल मीडिया में जेएनयू विवाद को लेकर हर जगह से प्रतिक्रिया आ रही है. कुछ लोग छात्रों का समर्थन कर रहे हैं तो कुछ उन्हें देशद्रोही साबित करने में तुले हुए हैं. हम ये मानते हैं कि अगर किसी ने देश की अखंडता को भंग करने के लिए प्रयत्न किये हैं तो उन्हें संवैधानिक तरीके से सज़ा मिलनी चाहिए. भारत का हर नागरिक देश के संविधान के प्रति प्रतिबद्ध होता है और यही कारण है कि हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. कन्हैया कुमार, उमर ख़ालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य, रामा नागा अगर दोषी हैं तो अदालत उन्हें सज़ा देगी, लेकिन कुछ लोग इसे जेएनयू की छवि खराब करने के लिए मुद्दा बना रहे हैं. कई मंत्री, वकील और भक्तों ने जेएनयू को आतंवादियों का गढ़ कहा है और इसे बंद करने का भी प्रस्ताव दिया है. पहली बात तो ये कि कुछ विद्यार्थियों की नासमझी की वजह से पूरी यूनिवर्सिटी को एंटी-नेशनल नहीं कहा जा सकता और दूसरी बात ये कि ये छात्र देश का भविष्य हैं. उन्होंने गलती की है तो उन्हें समझाइये, डांटिये, लेकिन मार देने की, फांसी लगा देने की बात मत कीजिये. फिर हमारे और आतंकवादियों में फर्क ही क्या हुआ.

हम आपको बता दें कि जेएनयू ने इस देश को सर्वश्रेष्ठ आईएएस, आईपीएस, प्रशासनिक अधिकारी, राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद और आर्मी अफ़सर दिए हैं. पंपोर में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए 22 साल के कैप्टेन पवन कुमार जेएनयू के विद्यार्थी थे. उन्होंने देश के लिए अपनी जान की आहुति दे दी, तो ये कहना तो एकदम गलत है कि जेएनयू आतंकवादियों का गढ़ है.

खैर, इसी कड़ी में एक और बेतुका बयान बीजेपी MLA, ज्ञानदेव आहूजा द्वारा दिया गया है. उन्होंने जेएनयू के छात्रों को देशद्रोही तो कहा ही है, साथ ही कई बड़े ही अजीब से आरोप लगाए हैं. विधायक जी कहते हैं कि...
WATCH: ‘Students dance naked in JNU, use 3,000 condoms and anti-pregnancy injections a day’https://t.co/ftbXV4RiGc
via @Pradesh18Eng— CNN-IBN News (@ibnlive) February 22, 2016
पाठकों के नाम एक संदेश...
ये व्यंग है तो अपनी गालियों की झड़ी थोड़ी कम कर लीजियेगा...
भाइयों! सुनो...कन्हैया और उमर जैसे 'देशद्रोहियों' का जो भी होगा, वो अदालत तय करेगी, लेकिन अगर विधायक जी की बात सच है तो ज़रा सोचो... जेएनयू बहुत ही कूल यूनिवर्सिटी है यार!अब बनो मत, मन में तो यही चल रहा है न कि 'ओह बेटे, हर दिन 3,000 कंडोम अगर किसी यूनिवर्सिटी में उपयोग हो रहे हैं तो यहां के स्टूडेंट क्या ज़िन्दगी जी रहे होंगे'. पहली बात तो ये कि न जाने विधायक जी ने इन कंडोम्स को ढूंढने का ज़िम्मा किसको दिया था, लेकिन बेचारे पर तरस आता है. दूसरी बात ये कि अगर छात्र कंडोम का उपयोग कर रहे हैं तो सुरक्षित सेक्स के प्रति जागरूक हैं, देश की जनसंख्या को बढ़ाने का काम नहीं कर रहे हैं. तीसरी बात ये कि अबे, इन झोलाछापों को बंदियां कैसे मिल जाती हैं? ये लाल सलाम करने वाले तो कुर्ते-पायजामे में, बिना नहाये घूमा करते हैं. शक्ल तो नहीं, लेकिन लड़कियों को दिमाग वाले लड़के बहुत पसंद आते हैं. शायद यही बात उन्हें जेएनयू के स्टूडेंट्स की पसंद है. तो ज़रा सोचो, अगर ये यूनिवर्सिटी इतनी कूल है तो एक बार इनकी बात भी सुन कर देखते हैं. शायद ये कुछ कहना चाहते हैं. शायद, ये आपसे बस एक स्वतंत्र सोच की उम्मीद कर रहे हैं. शायद, ये कह रहे हैं कि राष्ट्र का उद्धार तब होगा जब हम उसे बेहतर बनाने के लिए सरकार से सवाल पूछेंगे. शायद ये अपने जीवन में सही और गलत का फैसला सारे पक्षों को जानने के बाद करना चाहते है. शायद.अगर आप ये नहीं मानते तो...बंद कर दो इस यूनिवर्सिटी को. जला दो, मार दो, काट दो, ख़त्म कर डालो देशद्रोहियों को. कुछ समय बाद आप और मैं सब भूल जायेंगे और सालों बाद दोस्तों से बात करते वक़्त कहेंगे कि 'जेएनयू में खाना बड़ा सस्ता मिलता था यार'.