बचपन में एक कविता पढ़ी थी, ‘यह दंतुरित मुस्कान’… बाबा नागार्जुन की. कवि ने कुछ यूं लिखा था,
तुम्हारी ये दंतुरित मुस्कान
मृतक में भी डाल देगी जान…
कवि यहां एक शिशु की हंसी के बारे में बता रहे हैं. बच्चों की मुस्कान होती ही इतनी निश्छल है. किसी को भी मुस्कुराने पर मजबूर कर दे.
कल ही HT की एक रिपोर्ट में पढ़ा कि भारत World Happiness Index में 122वें स्थान पर आता है. यही नहीं, अपना देश ख़ुश रहने के मामले में पाकिस्तान और चीन से भी पीछे हैं. बुरा लगा जानकर, क्यों भाई? इतने ज़्यादा नाख़ुश क्यों हैं हम?
नौकरी, क़ामयाबी, सबसे आगे निकलने की होड़ में कहीं न कहीं ज़िन्दगी की छोटी-छोटी ख़ुशियों को हम भूलते जा रहे हैं. पता है हम बचपन को याद करके हमेशा ये क्यों कहते हैं कि ‘वो वक़्त ही अच्छा था’, क्योंकि सब पाने के चक्कर में हम छोटी-छोटी चीज़ों के मायने भूलते जा रहे हैं. बचपन में हम छोटी-छोटी ख़ुशियों से ख़ुश हो जाते थे.
ज़िन्दगी की भाग-दौड़ में ज़िन्दगी को ही खुलकर जीना भूल जा रहे हैं. कहते हुए अच्छा नहीं लग रहा, पर जिस 4 मंज़िला मकान के लिए आप इतना कुछ कर रहे हैं, ये तय नहीं है कि उसमें आप कितने दिन बिता पायेंगे. ये तो जानते ही होंगे न ज़िन्दगी आज है, तो कल नहीं.
तो क्यों न ऐसा करे कि जो है उसे ही खुल कर जी लें. और थोड़ा और, थोड़ा और के चक्कर में जो है वो भी हाथ से छूटते जा रहा है.
ज़िन्दगी के और क़रीब जाने के लिए ये 25 काम कर के देखो, ख़ुशियां झक मार कर पीछे आयेंगी.
1. किसी छोटे बच्चे के साथ खेलना.

2. अपने फ़्लैटमेट्स के साथ चाय पर चर्चा.

3. पार्क में बिना मोबाईल फ़ोन के बैठना.

4. रात में छत पर चटाई बिछाकर पड़े रहना और चांद-तारे देखना.

5. सड़क किनारे किसी चाय के दुकान पर बैठकर वहां अजनबियों से बात करना.

6. शक्तिमान, टॉम ऐंड जैरी देखकर बचपन की यादें ताज़ा करना.

7. पंछियों के लिए खाना रखना और उन्हें खाते देखना.

8. अकेले चलते किसी वृद्ध का भारी सामान उठा लेना और उन्हें घर तक छोड़ आना.

9. ऑफ़िस के हाउस-कीपिंग स्टाफ़ के साथ लंच करना.

10. अपने रूममेट्स के लिए चाय बनाकर रखना और टोस्ट की जगह छोटे नोट्स छोड़ना.

11. मम्मी-पापा को कॉल करना और बच्चों जैसी बातें करना.

12. ज़ोर-ज़ोर से हंसना, बिना ये सोचे की आपको कोई Judge कर रहा है.

13. उछलते हुए सीढ़ियां चढ़ना और एक दिन लिफ़्ट को टाटा कह देना.

14. किसी दूर के रिश्तेदार या किसी पुराने दोस्त के घर हो आना.

15. मेट्रो/बस/लोकल में सफ़र करते हुए Earphone या किताब छोड़ कर, अपने हमसफ़र से बात करना.

16. घर पर काम करने वाली Maid को एक दिन कुछ बनाकर खिलाना.

17. उगते हुए सूरज को देखना.

18. उड़ते हुए बादलों को देखना.

19. बारिश में भीगना और हो सके तो थोड़ा सा डांस कर लेना.

20. नंगे पांव घास पर चलना.

21. पड़ोस वाली दादी को फूलों का गुलदस्ता देना.

22. घर में पौधे लगाना, अगर हैं तो एक नया पौधा लगाना.

23. कॉलोनी के बच्चों के साथ क्रिकेट-बैडमिंटन कुछ भी खेलना और बचपन याद करना.

24. भाई-बहनों के लिए डिनर ऑर्डर करना या फिर कोई तोहफ़ा भेजना, बिना किसी Occasion के.

25. दादा-दादी, नाना-नानी को कॉल करना और उनसे बातें करना.

धूप में निकलो, घटाओं में नहाकर देखो,
ज़िन्दगी क्या है, मोबाईल स्क्रीन और सोशल मीडिया से ज़रा दूर जाकर देखो.