कहते हैं इंसान का मन बहुत चंचल होता है. हमारे मन के बारे में ऐसी कई बातें हैं, जो हमें शायद ही पता हों. इंसानी दिमाग हमसे ऐसी कई चीज़ें करवाता है, जिनका पता हमें ज़्यादातर नहीं होता. आइए जानते हैं इंसानी दिमाग़ से जुड़े कुछ रोचक फ़ैक्ट्स, जिससे आप अपने बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं.
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आपको भले ही छोटी लाइन्स पढ़ना पसंद हो, लेकिन जब आप लंबी लाइन्स पढ़ते हैं, तो अधिक तेज़ी से पढ़ते हैं. ये सब आपकी आंखों की गति पर निर्भर करता है.
2.
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बचपन में आपने 7+ और -2 रूल सुना होगा. वैज्ञानिकों का मानना है कि अल्प अवधि में हमारी मेमोरी 5 से 9 तरीके की जानकारी ही स्टोर कर सकती है.
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जब हमारा दिमाग़ अपनी डिवाइस के लेफ़्ट में होता है, तो वस्तुओं की कल्पना उसी फ़ॉर्मेट में करता है.
4.
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हमारे दिमाग़ में हर सेकेंड करीब 11 मिलियन से भी ख़्याल आते हैं, हर चीज़ को स्टोर करना संभव नहीं होता. इसीलिए हमारे ज़्यादातर फ़ैसले Subconscious (अवचेतन) होते हैं.
5.
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वैज्ञानिकों का मानना है कि समय के साथ हमारी मेमोरी बदलती है. इसीलिए कभी-कभी पुरानी यादें याद आने से मन ख़ुश हो जाता है.
6.
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वैज्ञानिकों के मुताबिक, आपका दिमाग एक समय में सिर्फ़ एक ही चीज़ के बारे में सोच सकता है. इसीलिए एक वक़्त में सिर्फ़ एक ही कार्य किया जा सकता है.
7.
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Chromostereopsis के कारण लाल और नीले को देखने में हमारी आंखों को कठिनाई होती है.
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शोधकर्ताओं के मुताबिक, हमारा दिमाग़ एक समय में सिर्फ़ एक ही इनपुट हैंडल कर सकता है. इसीलिए कई विकल्प होने के बावजूद, हम इनमें से कुछ को ही सलेक्ट कर पाते हैं.
9.
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याद है कि बचपन में जब हमारी कोई विश पूरी हो जाती थी, तो हम ख़ुशी से उछल पड़ते थे. वहीं अब शोधकर्ता इस पर रिसर्च कर रहे हैं कि कैसे किसी चीज़ की प्रतीक्षा करते हुए लोगों का मन इधर-उधर भटकाया जा सके.
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शोधकर्ताओं के मुताबिक, हर पल कुछ न कुछ सोचना ग़लत बात नहीं होती, बल्कि ऐसे लोग ज़्यादा क्रिएटिव और समझदार होते हैं.
11.
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कई बार देखा गया है कि लोग विज्ञापन या फिर किसी चीज़ से जल्दी प्रभावित हो जाते हैं, लेकिन वहीं आप पर इसका कोई असर नहीं पड़ता. वास्तविकता में कई चीज़ें हमारे मूड, एटिट्यूड और इच्छाओं को प्रभावित करती हैं.
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Cmiadrbge Usvteriiny की रिसर्च के अनुसार, आपका मस्तिष्क जैसी जानकारी प्राप्त करता है, आप उस चीज़ को उसी तरीके से करते हैं.
13.
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रात के वक़्त हमारा मस्तिष्क दिन भर हुई घटनाओं की जानकारी जमा कर, नई संचरचना तैयार करता है.
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किसी भी ग्रुप में एक नहीं, बल्कि कई दिमाग़ काम करते हैं. इसीलिए ये ज़रुरी नहीं है कि कई दिमाग़ मिलकर, जो निर्णय लें वो सही ही हो.
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रिसर्च के मुताबिक, किसी भी ग्रुप को बातों और व्यक्तित्व से आसानी से बहकाया जा सकता है.
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किसी भी काम को बिना सोचे-समझे करने से हमें अनुभव प्राप्त होता है, लेकिन वहीं अगर आप किसी कार्य को करने से पहले उसके बारे में अंदाज़ा लागाना शुरू कर देते हैं, तो वो चीज़ आपके अनुभव को ख़त्म कर देती है.
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अच्छी हो या बुरी किसी भी आदत को अपनाने में हमें महज़ 66 दिन का समय लगता है.
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एक रिसर्च के मुताबिक, कम लोगों की मौजूदगी में हमारे अंदर प्रतियोगिता की भावना बढ़ जाती है, क्योंकि उस वक़्त हमारी जीत की संभावना अधिक होती है. वहीं ज़्यादा लोगों के होने प्रतिस्पर्धा की इच्छा कम हो जाती है.
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दिमाग़ में नए सर्किट की उत्पत्ति के कारण किसी भी चीज़ को रिपीट करने से मस्तिष्क में बदलाव आता है.
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आपको भले ही ऐसा लगता हो कि कई लोगों की मौजूदगी में आप किसी का भी ध्यान अपनी ओर आकर्षित तक सकते हैं, लेकिन ऐसा सिर्फ़ 10 मिनट तक के लिए संभव है.
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एक रिसर्च में पाया गया है कि हमारी ज़्यादातर यादें दर्दनाक होती हैं और ये यादें कहीं न कहीं हमारी ग़लतियों का नतीजा होती हैं.
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लिस्ट में पहले नबंर पर मौजूद चीज़ को देख कर हम उसी का चुनाव कर लेते हैं. फिर चाहे वो किसी होटल का मेन्यू हो या वोटिंग लिस्ट. हांलाकि, ये ज़रुरी नहीं है कि हर बार ऐसा ही हो.
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हम कहीं न अपने भविष्य की घटनाओं के बारे में अधिक सोचते हैं. ये सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकती हैं.
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सोशल मीडिया पर भले ही आपके हज़ारों दोस्त हों, लेकिन असल में आप सिर्फ़ 50 से 150 लोगों को ही अपना दोस्त बना सकते हैं.
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वैज्ञानिकों के अनुसार, किसी भी ग़लत कार्य के लिए आप हमेशा दूसरों को दोषी ठहराते हैं, ग़लती भले ही आपकी की हो.
अगर ये फ़ैक्ट्स आपको पसंद आए, तो हमें कमेंट में बताना मत भूलिएगा.