विज्ञान ने इंसानों की ज़िन्दगी बहुत आसान कर दी है, इसमें कोई दोराय नहीं . विज्ञान के सही उपयोग से कईयों की ज़िन्दगी संवर सकती है, ज़रूरत है तो बस एक कदम बढ़ाने की.
दिल्ली के जगदीश मीना और चमेली मीना ने जब 2015 में अपने 31 वर्षीय एकमात्र पुत्र को खोया, तो उनकी ज़िन्दगी में अंधेरा छा गया. वृद्ध दंपत्ति ने सारी उम्मीदें छोड़ दी थी. लेकिन उन्होंने अकेले ज़िन्दगी जीना स्वीकार नहीं किया और IVF(In-Vitro Fertilisation) विकल्प को चुना.

65 वर्षीय जगदीश मीना की 64 वर्षीय पत्नी चमेली ने मार्च में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. जगदीश एक पब्लिक सेक्टर कंपनी में काम करते थे और 2012 में रिटायर हो गए थे. वृद्ध दंपत्ति ने अपने बेटे को ‘अरमान’ नाम दिया है.
TOI से बात करते हुए जगदीश ने बताया,
‘हम हर 6 महीने में अपना चेकअप करवाते हैं. बच्चे की सही परवरिश के लिए हमारा स्वस्थ रहना भी बहुत ज़रूरी है.’
60 की उम्र में किसी भी बच्चे की पूरी देखभाल करना ज़रा मुश्किल है. इस मामले में डॉक्टर अनूप गुप्ता ने बताया,
‘अगर मां स्वस्थ है, तो वो IVF करवा सकती हैं. लेकिन ये दंपत्ति के पूरे बॉडी चेकअप और आर्थिक हालात का जायज़ा लेने के बाद ही किया जाता है.’

50 की उम्र के बाद IVF ऐसे ही दंपत्ति करवाते हैं, जिन्होंने किसी हादसे में अपने बच्चे को खोया हो. पिछले साल पंजाब की 72 साल की एक महिला ने भी एक बच्चे को जन्म दिया था. ये अपने आप में ही एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है.
महिलाओं को 40-45 की उम्र में Menopause होता है. इसके बाद उनकी प्रजनन शक्ति ख़त्म हो जाती है. पर बहुत से Fertility Clinics, Uterus को Hormone Replacement Therapy और पति के या किसी दूसरे डोनर के Sperms और Egg से Revive करके Menopause के बाद भी महिलाओं को गर्भ धारण करवाते हैं. IVF के दौरान उम्र दराज़ महिलाओं को जान का ख़तरा भी रहता है.
Indian Council for Medical Research ने भी IVF की कोई उम्र सीमा तय नहीं की है.
Source: TOI