हम सबको अपनी ज़िन्दगी बनाने के लिए घर छोड़ना पड़ता है. और घर छोड़ना यानी मम्मी-पापा द्वारा दिए गए कम्फ़र्ट स्पेस से दूर.

बाप तो बाप होता है वाली कहावत उसके बाद और अच्छे से समझ आती है. घर की यादों के बीच हम कुछ ऐसे लोगों से भी रूबरू होते हैं जो रिश्ते में तो हमारे कुछ नहीं लगते, पर दिखाते ऐसा हैं जैसे हमारे बाबूजी ने उन्हें ही रिप्रज़ेनटेटिव बनाया हो!  

कुछ लोग, जो हमारे बाप हैं नहीं, पर बनने की कोशिश करते हैं- 

अरे चचा! अपना घर में उजाला करो, मस्जिद में दिया बाद में जलाना! 

Supercool Illustrations by: Saloni