गांव में बने मिट्टी के घर और उसके बाहर बड़ा सा बरगद का पेड़ देखकर लगता है कि रहने चले जाएं. बड़े-बड़े आलिशान घर के आगे ये छोटे से देसी और मिट्टी के घर बहुत ही सुंदर लगते हैं. ख़ास बात ये है कि इन मिट्टी के घरों की झलक आज के मॉर्डन घरों में किसी कोने में देखने को मिल जाती है. यहां तक ​​कि Laurie Baker जैसे आर्किटेक्ट, जिन्हें ‘आर्किटेक्चर का गांधी’ कहा जाता है, दशकों से इस प्रवृत्ति को आगे बढ़ा रहे हैं. मिट्टी के घर कम लागत में आसानी से बन जाते हैं. इसके अलावा भी इसके कई फ़ायदे हैं.

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1. कार्बन फ़ुटप्रिंट 

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लंदन स्थित गैर-सरकारी संगठन Chatham House की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अगर सीमेंट उद्योग एक देश होता, तो ये 2.8bn टन तक का विश्व का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जक देश होता, जो केवल चीन और अमेरिका को पछाड़ता. 21वीं शताब्दी में, सीमेंट मिट्टी की जगह एक विकल्प बन गया और ज़्यादातर आर्किटेक्ट ने इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. मगर इसकी तुलना में मिट्टी पुनर्नवीनीकरण योग्य होती है और इसे आसानी से खोदकर उपयोग में भी लाया जा सकता है.

2. अनुकूलता

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मिट्टी के घर बनाने के लिए चार बुनियादी निर्माण तकनीकें हैं जो जलवायु परिस्थितियों, स्थान और इसके आकार पर निर्भर करती हैं.

कोब: मिट्टी, गाय का गोबर, घास, गोमूत्र और चूने का मिश्रण औज़ारों, हाथों या पैरों से गूंथा जाता है, जिससे नीव और दीवारें बनाई जाती हैं.
एडोब: ईंटों को बनाने के लिए धूप-सूखी मिट्टी.
बेंत और लेपना: लकड़ी या बांस के डंडे को मिट्टी और रेत से बने चिपचिपे पदार्थ से पोता जाता है.
द रेम्ड अर्थ तकनीक: रेत, बजरी और मिट्टी का मिश्रण बनाया जाता है जब तक कि ये ठोस न हो जाए.
मिट्टी को आसानी से अन्य सामग्रियों के साथ मिश्रित किया जा सकता है और सभी चार निर्माण तकनीकों में समायोजित किया जा सकता है.  

3. प्रभावी लागत

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मिट्टी आसानी से मिलने वाली सामग्री है जो परिवहन लागत को भी कम करती है. इससे एक घर की कुल निर्माण लागत में 30 फ़ीसदी तक की कटौती की जा सकती है. अगर एक वर्ग फ़ुट के सीमेंट के घर की क़ीमत 1,000 रुपये है, तो इस ईको-फ़्रेंडली घर की क़ीमत सिर्फ़ 600 रुपये होगी.

4. बायोडिग्रेडबल

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प्लास्टिक, धातु, कांच, और तांबे जैसी सामग्रियों को नष्ट होने में सालों लग जाते हैं, जो हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे नदियां भी दूषित हो रही हैं. मगर मिट्टी पर्यावरण को हानि पहुंचाये बिना आसानी से पर्यावरण में वापस मिल जाती है.

5. रीसायकल हो सकते हैं

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पर्यावरण संरक्षण के लिए रीसायकल एक बड़ा और उपयोगी विषय है, जबकि मिट्टी के घर सदियों से रीसायकल का काम कर रहे हैं. ये जब टूट जाते हैं तो इनकी सामग्री को दोबारा इसतेमाल करके घर या कुछ भी बनाया जा सकता है. अगर मिट्टी गीली भी हो जाती है तो वो कीचड़ बनकर उसी में मिल जाती है. इस तरह, हम किसी भी सामग्री को ख़राब करे बिना उसी का दोबारा उपयोग कर सकते हैं.

6. थर्मल इन्सुलेशन

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क्या आपने कभी सोचा है कि मिट्टी की दीवारों से बने घरों में सर्दी या गर्मी कोई भी मौसम के बावजूद तापमान एक सा क्यों होता है? क्योंकि मिट्टी की दीवारें प्राकृतिक रूप से मौसम के विपरीत होती हैं. गर्मी में अंदर का तापमान कम होगा, जबकि सर्दियों में मिट्टी की दीवारें आपको गर्मी के साथ आराम देगी. इसके अलावा घरों में छोटे-छोटे मोखले होते हैं उनसे घर में हवा आती रहती है. मिट्टी की दीवारों में छेद होने से ये लंबी चलती हैं. साथ ही ये अंदर के तापमान को आरामदायक बनाए रखती हैं. 

7. मज़बूत और आपदा प्रतिरोधी

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मिट्टी की ईंट अगर स्थिर हो जाती है, तो दीवारों और फ़र्श को बहुत मज़बूत बना देती है. भूकंप या बाढ़ के दौरान भी इनमें दरारें नहीं पड़तीं और ये सदियों तक टिकी रह सकती हैं. वहीं मिट्टी के घरों में बारिश के दौरान कुछ समस्याएं हो सकती हैं, इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है. केरल के वास्तूकार Eugene Pandala बताते हैं कि गेहूं की भूसी, पुआल, चूना और गाय के गोबर जैसे स्टेबलाइज़र्स का इस्तेमाल किसी भी नुकसान से बचाने के लिए किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, Stabilised Compressed Interlocking Earth Block (SCEB) तकनीक का उपयोग करते हुए, स्थानीय मिट्टी में पांच प्रतिशत सीमेंट मिलाकर उसे मज़बूत किया जा सकता है, इस तरह के बने ईंटों में उच्च संरचनात्मक शक्ति और जल-प्रतिरोध होता है. इसका एक उदाहरण कच्छ में भुंगा है, जो एक भूकंपरोधी क्षेत्र है, जहां मिट्टी की ईंटों, टहनियों और गोबर से एक गोलाकार संरचना बनाई जाती है. इसी तरह, राजस्थान के बाड़मेर ज़िले में, घरों को बेलनाकार आकार, मिट्टी और फूस वाली छत से बनाया जाता है. इन घरों को दिल्ली स्थित गैर-लाभकारी संगठन Sustainable Environment and Ecological Development Society (SEEDS) ने 2006 में आई बाढ़ के बाद बनाया था, जिसने हज़ारों घरों को बर्बाद कर दिया था और सैकड़ों ग्रामीणों को बेघर कर दिया था.

आप भी क्या ऐसा ही सोचते हैं?