भारत के इतिहास में कई महिलाओं ने अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाई है. चाहे वो झांसी की रानी लक्ष्मी बाई हों या इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर. महिलाओं ने पितृसत्तामक सोच को यदा-कदा ललकारा है.
समाज के सभी लोगों के लिए प्रेरणा हैं ये महिलाएं. आज जानिये ऐसी 9 महिलाओं के बारे में जिन्होंने अपनी इच्छाशक्ति से हासिल किया अलग मकाम-
1. चेतना गाला सिन्हा
शहर निवासी चेतना ने गांव की महिलाओं की ज़िन्दगी बदलने के लिए शहर छोड़ दिया.1997 में उन्होंने ‘माण देशी बैंक’ खोला’. ये बैंक महिलाओं का, महिलाओं द्वारा और महिलाओं के लिये आज भी काम करता है.
2. मंजू सिंह
मंजू सिंह गुड़िया NGO की सदस्य हैं. मोक्ष नगरी काशी में मंजू ने संस्था के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर 1500 से ज़्यादा औरतों और बच्चियों को अवैध जिस्मफ़रोशी के धंधे से आज़ादी दिलाई है. निडर होकर काम करने के लिए उन्हें कई बार जान से मारने की धमकियां भी मिली हैं.
3. घिसी देवा
राजस्थान में अपने गांव में पुरुषों द्वारा महिलाओं पर किए जा रहे अत्याचार के खिलाफ़ आवाज़ उठाई. घिसी ‘दूं जमाता’ की लीडर हैं. 11 अन्य महिलाओं के साथ मिलकर ये संस्था अत्याचार करने वाले पतियों को सीधा करती है, पहले बात से और अगर काम न बने तो डंडे से.
4. इरोम शर्मिला
Iron Lady of Manipur ने AFSPA क़ानून के खिलाफ़ एक अरसे तक भूख हड़ताल की. आत्महत्या की कोशिश के इल्ज़ाम में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया लेकिन शर्मिला अपनी ज़िद पर कायम रहीं. 2016 में उन्होंने 16 साल बाद अपनी भूख हड़ताल ख़त्म की.
5. हर्षिनी कान्हेकर
ये नाम कुछ ही लोग जानते होंगे. हर्षिनी कान्हेकर भारत की पहली महिला Firefighter हैं. आज से तकरीबन 10 साल पहले हर्षिनी ने ये करिश्मा कर दिखाया था. महिलाएं चांद तक पहुंच सकती हैं, तो आग से लोगों को क्यों नहीं बचा सकती?
6. सपना तिग्गा
भारतीय सेना की पहली महिला जवान. जब सपना ने ये मकाम हासिल किया तब उनकी उम्र 35 की थी और वो दो बच्चों की मां बन चुकी थीं. कई क्षेत्रों की तरह सेना भी हमेशा से पुरुष प्रधान क्षेत्र ही रही है. लेकिन सपना ने यहां झंडे गाड़ दिये. The Better India के मुताबिक, सपना ने Physical Test में अपने सभी पुरुष प्रतिद्वंदियों को पछाड़ दिया था.
7. दुर्गा शक्ति नागपाल
भ्रष्टाचार के खिलाफ़ मोर्चा खोलने की हिम्मत दिखाई थी दुर्गा शक्ति ने. UP Cadre की IAS ऑफ़िसर ने सबको गौतम बुद्ध नगर में भ्रष्टाचार के खिलाफ़ आवाज़ उठाकर सबको चौंका दिया था. ग्रेटर नोएडा में एक मस्जिद की दीवार गिराने के इल्ज़ाम में उन्हें सस्पेंड कर दिया गया. इस निर्णय का आम जनता ने कड़ा विरोध भी किया था.
8. रूपा देवी
फुटबॉल अगर आपकी जान है तो FIFA ज़रूर आपका भगवान होगा. रूपा देवी, भारत की पहली महिला रेफ़्री हैं जिन्हें FIFA में मैच करवाने के लिए चयनित किया गया. तमिलनाडु की रूपा ने बहुत सी चुनौतियों का सामना कर इस मुकाम को हासिल किया है. FIFA द्वारा चयनित होने के बावजूद उनके पास कोई सरकारी नौकरी नहीं है.
9. संपत पाल देवी
औरतों को उनका हक़ दिलाने और पुरुषों के अत्याचार का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए संपत और साथियों ने डंडे उठा लिये. ‘गुलाब गैंग’ फ़िल्म इनके जीवन से प्रेरित है. 16 की उम्र में ही उन्होंने अत्याचारी पतियों के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया था.
हर चुनौती का मुंह तोड़ जवाब दिया है कई महिलाओं ने, हमने कुछ को ही इस लिस्ट में शामिल किया है. अगर आप भी किसी ऐसी महिला को जानते हैं, तो कमेंट बॉक्स में बतायें.