डॉक्टर्स को धरतीवासी भगवान का ही रूप मानते हैं. कई लोग समझते हैं कि मौत देख-देख कर वो पत्थर हो जाते हैं पर सच्चाई ये है कि उन्हें पत्थर होना पड़ता है, दूसरों की ज़िन्दगी संवारने के लिए. 

किसी को ख़ुशखबरी देना तो फिर भी आसान है, पर किसी को उसके किसी अपने की मरने की ख़बर देना बेहद मुश्किल है. डॉक्टर्स लगभग रोज़ इस दर्द से गुज़रते हैं और बिना कुछ कहे अपने काम में लगे रहते हैं. 

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St.Vincent Hospital, Indianapolis के Emergency Room के Dr. Louis Profeta अपने मरीज़ की मृत्यु ख़बर, उसके माता-पिता को बताने से पहले, मरीज़ का फ़ेसबुक पेज चेक करते हैं.

एक LinkedIn पोस्ट में उन्होंने ऐसा करने की पीछे की वजह उजागर की. जस का तस पेश करने की कोशिश कर रहे हैं:   

‘मैं तुम्हारी मां को तुम्हारी मौत की ख़बर देने से पहले तुम्हारा फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल देखूंगा.

ये मुझे इंसान बनाए रखता है. तुम तो जानते ही हो कि मैं तुम्हारे मम्मी-पापा की पूरी ज़िन्दगी बदलने वाला हूं. अब से 5 मिनट में वो पहले जैसे नहीं रहेंगे, पहले की तरह ख़ुश नहीं रहेंगे. सच कहूं तो अभी तुम अख़बारों से भरे किसी गीले बैग जैसे हो, जिसमें IV Lines, Tubes और सुइयां घुसेड़ी गई हैं और जिसे हम बचाने की कोशिश कर रहे हैं. तुम में ज़िन्दगी नहीं है, न ही तुम मुझे अपने सपनों के बारे में बता सकते हो. ये मेरा फ़र्ज़ है कि तुम्हारे जाने की ख़बर उन्हें देने से पहले मैं तुम्हारे बारे में जानूं.
फ़िल्हाल मुझे तुम पर काफ़ी गुस्सा आ रहा है… तुमने जो ख़ुद के साथ किया उस पर, और जो तुम अभी अपने माता-पिता के साथ करने वाले हो, उस पर.
मैं तुम्हारे बारे में कुछ नहीं जानता. तुम्हारी मां के लिए मुझे तुम्हारी ज़िन्दगी से भरी दुनिया में झांकना होगा. हो सकता है तुम रास्ता न देख कर Text कर रहे थे, या फिर तुमने पी रखी थी और तुमने Uber नहीं किया था. हो सकता है तुमने पहली बार Heroin, Xanax, Coke या Vicodin लिया हो.
हो सकता है तुम बिना हेल्मेट के बाइक चला रहे थे या फिर तुमने अपने मम्मी-पापा के मना करने के बाद भी ‘उस दोस्त’ के साथ घूमना बंद नहीं किया. हो सकता है तुमने बस हार मान ली हो.
हो सकता है तुम्हारा वक़्त आ गया था… पर तुम्हारा वक़्त न आया हो, इसके भी पूरे आसार हैं.
मैं अपने iPhone से तुम्हारे ड्राइविंग लाइसेंस की तस्वीर खींचता हूं और फ़ेसबुक पर तुम्हारा नाम ढूंढता हूं. इसके पूरे आसार हैं कि हम दोनों का एक Mutual Friend होगा ही क्योंकि मैं कई लोगों को जानता हूं.
मैं तुम्हें वही हार, वही झूमके पहने देखता हूं जो अब एक Specimen Cup में काउंटर पर रखे हैं. वही Ball Cap या Jacket पहने देखता हूं जिसे अभी Trauma Scissors से काटा गया है. शायद तुम उसे U2 Concert में पहन कर गए थे, Concert तो गज़ब का हुआ होगा. मैं तुम्हारी मुस्कुराहट देखता हूं, तुम्हारी आंखों का रंग देखता हूं, जिनमें ज़िन्दगी भरी है. Beach पर, मोमबत्ती बुझाते हुए, दादी के साथ क्रिसमस मनाते हुए जो वक़्त तुमने बिताया, वो सब देखता हूं. मैं देख रहा हूं कि मम्मी-पापा के साथ तुम्हारे कॉलेज बोर्ड के बाहर तुम्हारी एक तस्वीर है. अच्छा है, अब मुझे पता रहेगा कि मैं किन से बात करने जा रहा हूं.
तुम क़िस्मतवाले हो कि तुम अपने मम्मी-पापा को इस तरह नहीं देख रहे हो. तुम्हारे पापा बार-बार तुम्हारा नाम चिल्ला रहे हैं, मां ज़मीन पर गिरकर अपने बाल खींच रही है. अपने हाथ उसने सिर पर यूं रखे हैं मानो किसी की मार से बचन चाह रही हो. 
मैं तुम्हारी मौत की ख़बर उन्हें देने से पहले तुम्हारा फ़ेसबुक पेज इसलिए देखता हूं ताकी मुझे याद रहे कि मैं एक इंसान के बारे में बात रहा हूं.’

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Dr. Louis M. Profeta ने एक किताब भी लिखी है, ‘The Patient in Room Nine Says He’s God’. 

डॉक्टर्स के लिए लाशें देखना रोज़ का काम है और ये मुमकिन है कि ये उनके लिए कोई बड़ा संवेदनशील मुद्दा न हो. लेकिन जब एक डॉक्टर किसी लाश को इंसान समझकर उसकी दुनिया में झांकने की कोशिश करे, तो उसके लिए दिल में अपार प्रेम और सम्मान जागता है. अपनी तरफ़ से मृत लोगों को एक ख़ूबसूरत विदाई देने के लिए इंसानियत की तरफ़ से शुक्रिया, डॉक्टर