अगर ज़िंदगी का नाम संघर्ष है, तो मैं उस संघर्ष का नाम आमिर रखना चाहूंगा. आप सोच रहे होंगे कि मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं. आपका सोचना पूरी तरह से वाजिब भी है. जम्मू-कश्मीर के 22 साल के आमिर और उनके जज़्बे को देख कर शायद आप भी मेरी तरह सोचें. क्रिकेट का नाम सुनते ही हमारे ज़ेहन में सचिन, गांगुली या फ़िर धोनी का नाम सामने आ जाता है. लेकिन आज हम ‘आमिर’ नाम के एक ऐसे खिलाड़ी के बारे में बताएंगे जिनके ज़ज्बे के आगे क्रिकेट भी आमिर को सलाम करता है.

अंपायर का इशारा होते ही वो पैरों से बॉल पकड़ कर बल्लेबाज़ की तरफ़ तेज़ी से बॉल फेंकते हुए आगे बढ़ते है. फ़िर से पढ़ने की ज़रूरत नहीं है, आप सही पढ़ रहे हैं. दरअसल, आमिर हुसैन के बचपन से ही दोनों हाथ नहीं है. लेकिन बगै़र इसकी परवाह किए हुए वो अपने पैरों से तेज़ी के साथ गेंद फेंकते हैं. और बिलकुल उसी स्टाईल में अपना बल्ला भी उठाते हैं. ग़रीबी, लाचारी और बेबसी को धत्ता बता कर उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी को क्रिकेट को समर्पित कर दिया है. इसकी वजह से उन्हें कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ा… लेकिन कभी हार नहीं मानी.

1. एक दुर्घटना में उनके दोनों हाथ कट गए

जब आमिर 10 साल के थे तो आरा मशीन में फंस कर उनके दोनों हाथ कट गए . तीन साल तक वो अस्पताल में भर्ती रहें. दुआओं और दवाओं का दौर चलता रहा. कभी किसी ने हालत देख कर तरस खाया तो किसी ने उनकी ज़िंदगी को बोझ बताया. ऐसी बातें उन्हें कांटे की तरह चुभती थीं. लेकिन एक दिन उन्होंने फैसला किया कि उनकी जिंदगी किसी की मोहताज नहीं होगी.

2. पैरों से लिखना सीखा

हाथ नहीं रहने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. टीचरों के लाख मना करने के बावजूद उन्होंने स्कूल जाना शुरू कर दिया. पैरों से लिखना सीखा और हाईस्कूल और 12वीं की परीक्षा सेकेंड डिवीज़न में पास कर ली.

3. पहली ही गेंद पर किया क्लीन बोल्ड

बचपन से ही वो एक कामायब क्रिकेटर बनना चाहते थे. 12वीं पास करने के बाद उन्होंने क्रिकेट के खेलने के सपने को पूरा करने की सोची और अपने ही इलाके के एक क्रिकेट क्लब में एडमिशन ले लिया. कोच ने जब उनसे बॉलिंग करने को कहा तो उन्होंने पैर से पहली बॉल फेंकी और बल्लेबाज़ को क्लीन बोल्ड कर दिया. ये देख कर कोच बेहद खुश हुए और उन्हें टीम में शामिल कर लिया.

4. अपने दोनों पैरों को ही हाथ बना लिया

हाथ न होने की इस कमज़ोरी को आमिर ने पैरों की ताक़त से पूरा कर लिया. वो अपने सारे काम पैर से करते हैं. जैसे, शेव बनाना, नहाना, बाल काढ़ना, कपड़े पहनना और खाना खाना.

5. ज़िद ने उन्हें एक अच्छा तैराक बना ही दिया

जब उन्होंने तैरना शुरू किया था तो पहली बार वो डूबते-डूबते बचे थे. लोगों ने उन्हें बाहर निकाल कर बचाया था, लेकिन सीखने की जिद ने उन्हें एक अच्छा तैराक बना ही दिया.

6. गरीबी की चादर नहीं छोड़ती साथ

आमिर के पास पैसे के अलावा जज़्बा, हौसला, हिम्मत, सबकुछ हैं. गरीबी कहती है कि मैं साथ नहीं छोड़ूंगी और आमिर कहते हैं कि मैं ज़िद नहीं छोड़ूंगा. उनको ख़ुद पर विश्वास है कि वो एक दिन इस मुश्किल से भी पार पा लेंगे.

7. दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना मुश्किल है

आमिर अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि किसी पर बोझ न बनें. दो वक्त की रोटी का इंतजाम भी बड़ी मुश्किल से हो पाता है. सुबह जब खाना मिलता है, तो रात को ये नहीं पता होता कि पेट भरेगा या नहीं. ऐसे हालात में भी ये खिलाड़ी हार मानने को तैयार नहीं है. वो खूब पढ़ना चाहता है. इंडिया के लिए खेलना चाहता है.

8. इनकी ख्वाहिश धोनी,रैना और सचिन से मिलने की है

आमिर हुसैन ने बताया कि एक बार एमएस धोनी और सुरेश रैना उनके जिले में आए थे, लेकिन सुरक्षा कारणों की वजह से उनसे मुलाकात नहीं हो पाई. वो भविष्य में एक बार इन क्रिकेटरों से मिल कर कुछ सीखना चाहते हैं. अधूरे ख्वाबों को किसी के एहसान ने नहीं, बल्कि मेहनत से पूरा करना चाहते हैं. आमिर का सपना पैरा क्रिकेट में इंडिया को रिप्रेजेंट करने का है. वो सचिन और धोनी की तरह टीम इंडिया को चैंपियन बनाना चाहते हैं.

क्रिकेट कैसे खेलते हैं आमिर, इस वीडियो में देखें

Video Source: Btv