किसी भी हिन्दुस्तानी से अगर आप ये पूछेंगे कि मां-बाप और अपनों के बाद आप किसे सबसे ज़्यादा प्यार करते हैं, तो हर किसी का जवाब होगा अपना देश भारत. हो भी क्यों न, आज हम जो कुछ भी हैं इस मुल्क़ की वजह से ही तो हैं, यही तो हमारी असली पहचान है. भला हम अपने देश से प्यार क्यों न करें.

हम अक्सर देखते हैं कि देश के लिए शहीद होने वाले जवानों को सिर्फ़ 15 अगस्त या फिर 26 जनवरी के दिन ही याद किया जाता है. बाकि दिन हम ये भूल जाते हैं कि जो जवान सीमा पर हमारे और इस देश के ख़ातिर शहीद हुए वो भी किसी के बेटे, पिता या फिर भाई थे, लेकिन इस दुनिया में अब भी कुछ ऐसे लोग हैं जो अपने-अपने तरीकों से शहीदों की उस लौ को जलाये रखने का काम करते हैं.

ऐसे एक शख़्स हैं हापुड़ के रहने वाले पेशे से इंटीरियर डिज़ाइनर अभिषेक गौतम. हम अक्सर देखते हैं कि जिससे सबसे ज़्यादा प्यार करते हैं अपने शरीर पर उसके नाम का टैटू गुदवाते हैं. कुछ साल पहले अभिषेक ने भी अपने शरीर पर बेटे के नाम का टैटू गुदवाया था. उन्हें कुछ समय बाद महसूस हुआ कि जो जवान देश की ख़ातिर अपने प्राण तक न्यौछावर कर देते हैं उनके लिए हम क्या करते हैं?
इसके बाद अभिषेक ने सोचा कि जितना प्यार हम अपने देश से करते हैं उतना ही उन शहीदों से भी करते हैं, तो फिर क्यों न उनके इस बलिदान को हमेशा याद रखने के लिए उनके नाम का कोई टैटू गुदवाया जाए. बस फिर क्या था अभिषेक ने एक, नहीं बल्कि 560 शहीदों के नाम के टैटू अपने शरीर पर गुदवा लिए. जवानों को हमेशा याद रखने के लिए ये अभिषेक का अपना तरीका है.
दरअसल, अभिषेक ने इसके लिए 8 दिन तक रोजाना 6 घंटे बैठकर अपनी पीठ पर 560 शहीदों के नाम गुदवाए हैं. इस दौरान उन्हें काफ़ी दर्द भी हुआ, यहां तक की बुखार भी आया. इसके बावजूद उन्होंने शहीदों के साथ-साथ महापुरुषों, राष्ट्रीय प्रतीक और शहीद स्मारकों के टैटू भी अपने शरीर पर गुदवाए.

शहीदों के प्रति उनका ये जुनून यहीं खत्म नहीं हुआ. इसके बाद वो उन शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके परिवारों से मिलने निकल पड़े. इसके लिए अभिषेक अपनी बाइक से सैकड़ों किमी की यात्रा कर देश के कोने-कोने में पहुंचे और वहां शहीदों को नमन किया.

अपनी इस यात्रा के दौरान अभिषेक जोधपुर के डांगियावास स्थित केएमएमपी स्कूल पहुंचे. उन्होंने वहां बच्चों को अपने टैटू दिखाए और साथ ही स्टूडेंट्स को देशप्रेम की भावना के प्रति जागरूक करते हुए कई शहीदों की कहानियां भी सुनाई. वहीं बनाड़ गांव में ‘अमर शहीद सेवा समिति’ की ओर से अभिषेक गौतम को सम्मानित भी किया गया.

इंडिया टुडे से बातचीत के दौरान अभिषेक ने कहा कि इसके लिए मैंने करीब एक साल तक शहीदों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए उनके परिवार वालों से भी मुलाक़ात की.

एक बात ध्यान रखने वाली है कि अभिषेक गौतम ने टैटू गुदवाने से पहले डॉक्टर की सलाह ली थी. कोई भी टैटू गुदवाने से पहले आप भी डॉक्टर की सलाह लें.