किसी भी देश में किए गए जुर्म की सबसे बड़ी सज़ा मौत होती है. लेकिन कई ऐसी भी लड़कियां हैं, जो बिना किसी जुर्म के मौत से भी घिनौनी सजा भुगत रही हैं. एसिड अटैक न सिर्फ़ लड़कियों के चेहरे को जलाता है, जबकि उनके आत्मविश्वास तक को राख़ कर देता है.

भारत ही नहीं, बल्कि वियतनाम में भी हज़ारों लड़कियां इस घिनौने अटैक की शिकार हो चुकी हैं. लेकिन अपराधियों को मिलने वाली सज़ा इतनी कम है कि अपराध को अंजाम देने वाले इसकी परवाह तक नहीं करते.

ऐसी ही एक ऐसिड अटैक को झेल रही महिला की ज़िंदगी को तस्वीरों के ज़रिए दिखाने की कोशिश की गई है.

इस महिला पर एसिट अटैक बहुत कम उम्र में हुआ था, जिसके बाद उसकी ज़िंदगी बिलकुल ही बदल गई.

घर वालों से अलग, न देख पाने की क्षमता ने जैसे इन्हें तोड़ दिया.

एसिट अटैक के बाद न तो कोई इन्हें अपने साथ रखता है और न ही इनके साथ कोई शादी करना चाहता है.

खुद का परिवार ही उन्हें उनके हालात पर छोड़ देता है. एक भी शख़्स उनकी सुध लेने तक की कोशिश नहीं करता.

ज़रा सोचिए, ऐसे में महिलाओं पर कैसा प्रभाव पड़ता होगा. बिना किसी गलती के वो इतनी बड़ी सज़ा क्यों काटें. आखिर इनकी गलती क्या है और क्यों समाज हर बार इन महिलाओं को ही सजा का भागीदार बनाता है? ये सवाल हम सब को किसी और से नहीं, बल्कि खुद से पूछना चाहिए.  

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