जैसे ही संस्कारों का ज़िक्र होता है, सिर्फ़ एक ही नाम ध्यान में आता है, जिसे हम लोग संस्कारी शख़्स, बाबू जी और न जाने ऐसे ही कितनी उपाधियां दे चुके हैं. ये कहना ग़लत नहीं लगता कि संस्कार को हमने आलोक नाथ जी के नाम से कुछ इस कदर जोड़ दिया है कि वो ही इसका पर्याय बन चुके हैं.

मगर बदलते समय के साथ-साथ अपने संस्कारी बाबू जी भी बदल गए हैं. अब वो भी आज की जेनरेशन के साथ चलना चाहते हैं. सुनने में भले ही ये बड़ा अजीब लगता हो, पर इसी बात को यदि बाबू जी ख़ुद कहें, तो शायद आप उनकी बात से इंकार नहीं कर पाएंगे. 

आज हम आपके लिए संस्कारी बाबू जी का एक ऐसा वीडियो ले कर आये हैं, जिसमें वो आज की यूथ के साथ चलने की उम्मीद कर रहे हैं.