IPL चला गया, चुनाव भी कुछ दिनों में चला जाएगा, जब दिमागी दबाव हल्का होगा तब याद आएगा कि पिछले महीने अप्रेज़ल भी तो हुआ था, उसका क्या हुआ!  

इसलिए देर से ही सही, मौका के फ़ायदा उठाते हुए ताड़ा-ताड़ी उन बातों को देख लेते हैं, जो अप्रेज़ल के दौरान लोगों के दिमाग़ में चलती है.  

1. 30% से कम पर तो मैं मानने नहीं वाला, एक तो साल भर कंपनी में 9 से 5 घिसो और जब अप्रेज़ल का टाइम आता है, तो ये छुट्टा पकड़ा देते हैं. अबकी या तो 30% आएगा या मैं जाएगा.

2. ऑफ़िस के बाहर भी अपनी लाइफ़ है, इस ऑफ़िस के बाहर मैं आज़ाद परिंदा हूं. बाकियों की तरह नहीं कि जब बॉस का फ़ोन बजा… ‘जहांपना तूसी ग्रेट हो तौफ़ू कुबुल करो’ के मोड में खड़े हो गए. 5% कम हो जाए अप्रेज़ल चलेगा… लेकिन अपने से ये सब नहीं होगा.

3. पिछले महीने लेट आया था, उसके नंबर तो नहीं काट लेंगे. लेकिन मैंने मेल तो कर दिया था, उस दिन लेट तक रुका भी था ऑफ़िस में. फिर भी कोई भरोसा नहीं शायद नंबर काट ले.

4. 5, 10, 15 जो मर्ज़ी हो दे, मैं तो चला. मैं अगले महीने पेपर डाल दूंगा, इस कारखाने में और काम नहीं होगा मुझसे. ये भी कोई ऑफ़िस है, न ढंग से WiFi चलता है, न टोरेंट खोल सकते हैं, फ़ोन में नेटवर्क नहीं आता, फ़ेसबुक भी नहीं चला सकते.

5. तेरा कितना हुआ. सुन, तेरा कितना हुआ… ओए सुन, तेरा कितना हुआ!

6. तेरी बॉस से तो अच्छी बनती है, ज़रा मेरे लिए भी बात कर.

7. क्यों करते हैं ये सेल्फ़ रेटिंग का ढकोसला. आखिर में जब अपनी मर्ज़ी से ही अप्रेज़ल देना है, ये नाटक क्यों!

8. जितना अप्रेज़ल दे रहे हैं, देने दो. अगर इन्हें मेरी कामचोरी का पता चल गया, तो उल्टे मुझसे पैसे न मांगने लग जाए.

9. पिछला भूल जाओ, इस एक महीने टाइम से ऑफ़िस आना-जाना होगा. यही बॉस को याद रहेगा.

अप्रेज़ल के वक़्त तोल-मोल की कला भी सीख लें, HR के सामने काम आएगी.