Bank Loan Repayment: भारत में हर इंसान का कभी न कभी बैंक लोन (Bank Loan) से पाला ज़रूर पड़ता है. होम लोन से लेकर वाहन लोन तक की ज़रूरत हर इंसान को होती ही है. लेकिन कई बार परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं जब इंसान को बच्चों की पढ़ाई के लिए एज्युकेशन लोन से लेकर बच्चों की शादी के लिए पर्सनल लोन लेना पड़ता है. बैंक से लोन लेना जितना मुश्किल काम है उसे चुकाना भी उतना ही मुश्किल होता है. इस दौरान हमें कई तरह की फ़ॉर्मल्टीज़ करनी पड़ती हैं. लेकिन कभी सोचा है अगर किसी इंसान की मृत्यु हो जाए तो उसका लोन (Loan) कौन चुकाएगा?
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मृत्यु के बाद बैंक लोन का भुगतान
दरअसल, बैंक लोन (Bank Loan) कई तरह का होता है. होम लोन, पर्सनल लोन, एज्युकेशन लोन, कार लोन सभी की प्रक्रिया अलग-अलग होती है. लोन चुकाने (Loan Repayment) की प्रक्रिया भी अलग-अलग होती है. इस दौरान किसी कारणवश अगर कोई शख़्स लोन चुकाने में असफ़ल रहता है या उसकी मौत हो जाती है तो ऐसे में लोन चुकाने की ज़िम्मेदारी किसकी होती है?
क्या है ‘होम लोन’ का नियम?
मृत्यु के बाद हर लोन के लिए भुगतान की प्रक्रिया भी अलग-अलग होती है. होम लोन (Home Loan) के केस में लोन के एवज में घर के कागज गिरवी रखे जाते हैं यानी घर गिरवी रखा जाता है. होम लोन लेने वाले शख़्स की मृत्यु हो जाने पर Co-Borrower या फिर उस व्यक्ति के उत्तराधिकारी पर लोन जमा करने की ज़िम्मेदारी होती है. लेकिन इन्हें ये ज़िम्मेदारी तभी दी जाती है जब वो लोन का भुगतान करने में सक्षम हों. इसके अलावा इन्हें ऑप्शन दिया जाता है कि वो संपत्ति बेचकर लोन का भुगतान कर सकें.
अगर इन तरीक़ों के बाद भी लोन का भुगतान नहीं हो पाता है तो बैंक ‘लोन’ के एवज में रखी गई संपत्ति को नीलाम कर देता है और इससे लोन की बकाया राशि वसूल लेता है. लेकिन आजकल कई बैंकों द्वारा लोन लेने के दौरान एक इंश्योरेंस भी करवा दिया जाता है और अगर व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो बैंक इंश्योरेंस के माध्यम से इसे वसूल लेता है.
पर्सनल व वाहन लोन भुगतान के नियम
पर्सनल लोन (Personal Loan) पूरी तरह से अन-सिक्योर्ड लोन होता है. पर्सनल लोन के मामले में बैंक किसी दूसरे व्यक्ति से पैसे नहीं वसूल सकते हैं. साथ ही उत्तराधिकारी की भी पर्सनल लोन को लेकर कोई ज़िम्मेदारी नहीं होती. ऐसे में व्यक्ति की मृत्यु के साथ ही लोन भी ख़त्म हो जाता है. वहीं वाहन लोन (Vehicle Loan) पूरी तरह से सिक्योर्ड लोन होता है. इस स्थिति में अगर व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो बैंक घर वालों को लोन का भुगतान करने के लिए कहता है. अगर वो लोन का भुगतान नहीं करता है तो बैंक ‘व्हीकल’ को बेचकर लोन का पैसा वसूल कर लेते हैं.
इसी तरह एज्युकेशन लोन (Education Loan) के मामले में भी परिवार के मुखिया की ये ज़िम्मेदारी होती है कि वो बच्चे की मृत्यु के बाद कुछ रिबेट के बाद बैंक लोन चुकाएगा.
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