रोज़ ख़बरों में कुछ न कुछ नकारात्मक ज़रूर दिख जाता है. कहीं देश के किसी कोने में किसी महिला की आबरू छीनने की तो कहीं किसी निर्दोष की बेरहमी से हत्या की.
महिला को काफ़ी दर्द हो रहा था इसलिए मैंने उससे ज़्यादा सवाल नहीं किए. मैंने अपनी Details के साथ फ़ॉर्म भरा और उसे एडमिट करवाया. एडमिट करने की प्रक्रिया के दौरान ही मुझे पता चला कि उसका नाम नंदिता है. इसके अलावा उसके बारे में मैं कुछ नहीं जानता.
-बाबू मुद्दरप्पा
रात को 9:30 बजे महिला ने एक अस्वस्थ बच्ची को जन्म दिया. बच्ची का जन्म 7 महीने में ही हो गया था और उसका वज़न सिर्फ़ 850 ग्राम था. बच्ची को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और डॉक्टर्स ने बच्ची को Bowring अस्पताल ले जाने को कहा. उसी रात 11:30 बजे बाबू बच्ची को Bowring अस्पताल ले गया और Admission Formalities पूरी करने के लिए वहीं रुक गया.
बाबू ने बच्ची को गोद लेने का निर्णय कर लिया. वो शादीशुदा है और 2 बच्चों का पिता है.
जब मैंने उस बच्ची को देखा, तो मुझे मेरे बच्चे याद आ गए. मैं उसे अकेला छोड़ने की सोच भी नहीं सकता था. इसलिए मैंने अस्पताल के बिल और अन्य ख़र्च उठाए. मैं दिन में काम करता और रात में बच्ची के पास रहता.
-बाबू मुद्दरप्पा
शुरुआत में बच्ची के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा था पर 3 मई को बाबू के पास अस्पताल से फ़ोन आया.
शुक्रवार, 3 मई को मैं उसके लिए Milk Powder और अन्य दवाइयांं ख़रीदी. शनिवार रात को मेरे पास फ़ोन आया कि वो बच्ची नहीं रही. डॉक्टर्स ने मुझसे कहा कि बहुत कोशिशों के बाद भी उसे बचाया न जा सका.
-बाबू मुद्दरप्पा
बाबू ने इंदिरानगर पुलिस थाने में बच्ची को लावारिस छोड़ने वाली महिला के ख़िलाफ़ FIR दर्ज करवाई है. उसने पुलिस से बच्ची का शरीर उसे सौंपने का भी आग्रह किया. बच्ची की मृत्यु से उसे गहरा दुख पहुंचा है.
वो मेरी बच्ची थी. अपने बच्चों के खाने या अस्पताल के ख़र्च का कोई हिसाब नहीं रखता.
-बाबू मुद्दरप्पा
पुलिस अब उस महिला की तलाश में है. बाबू ने जो किया, कई बार वो अपने भी नहीं करते. इसीलिए ही शायद इंसानियत के रिश्ते को ख़ून के रिश्ते से ज़्यादा अहमिसत देते हैं.