कठिनाइयों और संघर्ष को पार करते हुए एक संकल्प ‘तुम मुझको कब तक रोकोगे’, के साथ जीवन में आगे बढ़ने वाली बिनीता जैन कौन बनेगा करोड़पति के सीज़न 10 में 1 करोड़ जीतने वाली पहली विजेता बन गई हैं. 2 अक्टूबर को अपनी सशक्त बुद्धि और ज्ञान का परिचय देते हुए बिनीता जैन ने 3 लाइफ़ लाइन्स का इस्तेमाल करते हुए कठिन सवालों के सही जवाद तेते हुए ये 1 रुपये जीते.

KBC की हॉट सीट पर बैठने वाली गुवाहाटी, असम से आई बनिता जैन का जीवन काफ़ी संघर्ष भरा रहा है. बनिता की बुद्धि और ज्ञान के साथ-साथ उनके संघर्ष भरे जीवन की कहानी भी कइयों के लिए प्रेरणा है.

बिनीता जैन एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में टीचर हैं और वो खुद एक स्टूडेंट भी हैं. 1991 में ही कम उम्र में शादी हो जाने के कारण उनकी पढ़ाई बीच में ही रुक गई थी. शादी के 6 सालों के अंदर ही वो दो बच्चों की मां बन गई थीं. मगर मन में पढ़ने की इच्छा ख़त्म नहीं हुई. लेकिन परिवार और बच्चों की ज़िम्मेदारी कन्धों पर आने के साथ ही धीरे-धीरे उनकी वो इच्छा कहीं दब के रह गई.

शादी के बाद जब सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक हुए एक हादसे ने उनकी ज़िन्दगी को बिखेर दिया. 2003 में एक दिन उनके पति घर से काम के लिए तो निकले मगर वापस नहीं आये. बाद में पता चला कि नक्सलियों ने उनका अपहरण कर लिया है. काफ़ी समय तक जब उनकी कोई ख़बर नहीं आई, बिनीता ने सोचा कि अगर अब तो उनको ही कुछ करना पड़ेगा वरना वो खुद डिप्रेशन में चली जाएंगी. बस इस एक फ़ैसले ने बदल दी उनकी ज़िन्दगी.

 उनके बच्चे छोटे थे इसलिए उन्होंने बाहर जाकर नौकरी करने के बजाए घर पर ही ट्यूशन पढ़ाना और अपनी पढ़ाई पूरी करने का फ़ैसला लिया. इसकी अहम वजह ये थी कि वो अगर कोई काम नहीं करतीं, तो डिप्रेशन में आ जातीं.

बिनीता बताती हैं कि,

मेरा ऐसा मानना है कि जब इंसान किसी ऐसी विषम परिस्थिति में आता है तो उसका सामना करने की ताक़त उसे भगवान अपने आप देता है. मेरे अंदर ये एक स्ट्रॉन्ग बिलीफ़ है कि कहीं न कहीं तो है जहां मेरे पति ठीक हैं. मुझे लगता है कि कुछ ऐसा हो जाए, मेरे भी सितारे पलट जाये और उनका रुख मेरी तरफ़ हो जाए और मेरे पति घर लौट आएं.

बिनीता कहती हैं कि उन्होंने और उनके पूरे परिवार ने सालभर तक पति को खोजने की हर संभव कोशिश की पर हम लोगउनको घर वापस नहीं ला पाए. 15 साल पहले उन दिनों नार्थईस्ट में आतंकियों का काफ़ी ख़ौफ़ था. अब तो सच्ची यही है कि मेरे पति हमारे बीच नहीं हैं. अब हमारे पास इंतज़ार करने के साथ आगे बढ़ने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं था. आज 15 साल बाद भी हम उनका इंतज़ार कर रहे हैं और करते रहेंगे. बिनीता को अब भी उम्मीद है कि उनके पति कभी न कभी वापस आएंगे. बिनीता के मुताबिक, जब पति को अगवा किया गया था, तब बेटा 6वीं और बेटी दूसरी क्लास में थी.

TOI को दिए एक इंटरव्यू में बिनीता जी ने कहा:

मेरी शिक्षा और करेंट अफ़ेयर्स के ज्ञान की बदौलत मैं आज इस मुक़ाम तक पहुंची हूं. उन्होंने ये भी बताया कि वो जीती हुई इनाम राशि से अपने बेटे के लिए एक डेंटल क्लीनिक के सेटअप पर ख़र्च करना चाहूंगी। वहीं कुछ पैसों से मैं अंडर प्रिवलेज बच्चों के लिए कोचिंग इंस्टीटयूट भी शुरू करूंगी.

बिनीता जैन की प्रेरणादायक कहानी को उनकी ज़ुबानी आप यहां देख सकते हैं:

अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देने, उनको पढ़ाई के लिए बाहर भेजने के साथ-साथ बिनीता ने घर में रहकर खुद पढ़ाई करके 2 डिग्री भी प्राप्त की. लोगों के लिए बड़ी प्रेरणा स्रोत बनी बिनीता ने ये साबित कर दिया कि जीवन चलने का नाम है और हमको चलते जाना है.