देश में लड़कियों की जनसंख्या लड़कों के मुक़ाबले काफ़ी कम है. कुछ राज्यों में ये समस्या भयानक रूप ले चुकी है. सरकार की अनदेखी कहें या समाज का अंधापन, वजह जो भी हो भुगतना हमेशा महिलाओं और लड़कियों को ही पड़ता है.

राजस्थान भी अब विषम लिंगानुपात की समस्या से जूझ रहा है. यहां कंवारे लड़कों को शादी के लिए दुल्हनें नहीं मिल रही हैं. अगर आपको याद हो तो हरियाणा के कई इलाकों के लड़के भी इसी समस्या से जूझ रहे हैं.

पर राजस्थान के युवाओं के पास एक ऑपशन है, वे 50 हज़ार से 1 लाख रुपये देकर आसानी से अपने लिए दुल्हन ख़रीद सकते हैं. ये चलन आजकल राजस्थान के ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाक़ों में ज़ोर पकड़ रहा है. इस क्षेत्र में कोटा, बूंदी, झालावर और बारां ज़िले आते हैं. ताज्जुब की बात है कि दुल्हनों की ख़रीद-फ़रोख़्त में माहेश्वरी, बनिया, जैन और ब्राहम्ण जैसे इस क्षेत्र की समृद्ध जातियां भी शामिल हैं.

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ऐसी शादियां दलालों द्वारा तय करवाई जाती हैं. ये दलाल शादी लायक ऐसे कंवारों पर नज़र रखते हैं, जिन्हें दुल्हन नहीं मिल रही हो. दलाल, लड़के के घरवालों को दुल्हन दिलवाने का वादा करते हैं और बदले में मोटी रकम वसूलते हैं.

एक दलाल ने बेख़ौफ़ होकर India Times को बताया,

‘बिना किसी Risk के 50 हज़ार से 1 लाख रुपये में दुल्हन मिल जाती है. ऐसी शादियों में कुछ भी ग़ैरकानूनी नहीं होता क्योंकि ये दोनों ही तरफ़ के घरवालों की मर्ज़ी से होता है.’

दलाल ने दुल्हनों के बारे में बताते हुए कहा,

‘ज़्यादातर दुल्हनें मध्य प्रदेश, झारखंड और बिहार से होती हैं. पर राजस्थान की भी दुल्हनें ख़रीदी जा सकती हैं.’
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सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि दुल्हनों को ख़रीदने वालों को भी इसमें कुछ भी ग़लत नहीं लगता. बूंदी के 42 वर्षीय, नमिचंद (बदला हुआ नाम) ने बताया,

‘मुझे एक ख़ुशहाल, शादीशुदा ज़िन्दगी चाहिए थी. जब मुझे अपनी जाति में दुल्हन नहीं मिली, तो मैंने 1 लाख रुपये में ख़रीद ली. इसमें क्या ग़लत है?’

नमिचंद एक खुशहाल वैवाहिक जीवन जी रहा है, जैसा कि उसने बताया.

इसी तरह बूंदी के ही 35 वर्षीय रमेश शर्मा (बदला हुआ नाम) ने भी 75000 रुपये में मध्य प्रदेश की एक दुल्हन ख़रीदी.

बनिया, माहेश्वरी, जैन, सोमानी, सोगानी आदि अमीर जातियों को अपनी जाति में दुल्हनें नहीं मिल रही हैं. इसीलिये इन जातियों के युवा ख़रीदी हुई दुल्हनों से शादी कर रहे हैं.

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लेकिन हर दुल्हन सही हो ये ज़रूरी नहीं. कुछ महिनों पहले, 1.25 लाख में एक ख़रीदी हुई दुल्हन शादी के 3 महीनों बाद घर के सारे गहने और पैसे लेकर भाग गई.

ख़रीदी गईं अधिकतर दुल्हनें बिहार, यूपी और एमपी, छत्तीसगढ़, झारखंड के गरीब घरों से आती हैं. शायद ये लड़कियां अपने परिवारों पर बोझ बन जाती हैं, तभी तो उन्हें पैसे लेकर बेच दिया जाता है, मानो वो कोई सामान हो.

‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’… ‘सेल्फ़ी विड डॉटर’ ये सब फिज़ूल की बातें लग रही हैं, जिस देश में आज भी बेटियों का सौदा चंद कागज़ के टुकड़ों के लिए कर दिया जाए, उस देश में उन्नति का स्वप्न देखना बेकार है.

Source: India Times