दुनिया में पुराने समय में कई क्रूर परम्पराएं थीं. इनमें से ही एक है चीन में प्रचलित रही ‘लोटस फ़ीट’ परम्परा. चीन के Guizhou प्रांत की ये महिलाएं ‘लोटस फ़ीट’ नाम की क्रूर परंपरा की शिकार आखरी महिलाएं हैं.
करीब सौ साल पहले तक ये परम्परा चीन में थी. महिलाओं के पैर कास के बांध दिए जाते थे, ताकि वो बढ़ न सकें. बच्चियों के पंजे कसकर बांध दिए जाते थे. महिलाओं के पैर छोटे रहे इसलिए कई औज़ार और जूते बनाए गए थे. अगर पंजों पर मांस ज़्यादा होता था, तो उसे काट कर निकाल दिया जाता था. चीन में इसे ख़ूबसूरती की पहचान माना जाता था. ये परंपरा महिलाओं में अक्षमता का कारण भी बन जाती थी.
कई महिलाओं के पैरों में इससे इंफ़ेक्शन तक हो जाता था. उस समय जिस लड़की के पैर छोटे नहीं होते थे, उसकी शादी होने में मुश्किल आती थी.
इसका पालन करने वाली अंतिम महिला आज 102 साल की हो चुकी है. हैन कियाओनी वो अंतिम महिला हैं, जिनके पैर बचपन में ही मोड़ दिए गए थे. उनके पैर दो साल की उम्र में ही बांध दिए गए थे, जिसकी वजह से वो उसी समय टूट गए थे.
हैन बताती हैं कि उनकी मां उनके पैरों को मोटे कपड़े से बांध देती थीं, ताकि उनका पैर न बढ़े. इससे उन्हें असहनीय दर्द होता था और वो करीब 6 महीने तक चल-फिर नहीं सकीं थीं.
पहली बार साल 1912 में इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाया गया, लेकिन कुछ लोग चोरी-छिपे अपने घरों में बच्चियों के पैर बांधते थे.
इस परंपरा की शुरुआत के बारे में कहा जाता है कि चीन में राज करने वाला लि यू एक बार डांस देखने पहुंचा था, उस डांसर के पैर देखकर वो सम्मोहित हो गया था. डांसर ने अपने पैर कपड़े से बांध रखे थे. इसके बाद से चीन में पैर बांधने की परंपरा शुरू हो गई.