इंसानों को अगर भविष्य में सबसे बड़ा ख़तरा किसी चीज़ से है तो वो है क्लाइमेट चेंज की समस्या, जो आए दिन किसी न किसी रूप में हमारे सामने मुंह बाए खड़ी रहती है. फिर चाहे बात ब्राज़ील के अमेज़न के जंगलों में लगी आग हो या फिर चेन्नई में आया जल संकट. ये सभी उदाहरण इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि हमें इसे लेकर सचेत हो जाना चाहिए. 

 जलवायु परिवर्तन की कुछ ऐसी घटनाओं के बारे में आज हम बताएंगे, जिन्होंने इस साल हमें हिला कर रख दिया था. 

1. अमेज़न के जंगलों में लगी आग 

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ब्राज़ील के अमेज़न के जंगलों में क़रीब 60 दिनों तक आग लगी रही. इसके चलते इन वर्षा वनों लगभग 3000 वर्ग मील क्षेत्र जलकर राख हो गया. ये वही जंगल हैं, जो हमारी सेहत का ख़्याल रखते हैं, क्योंकि इन्हीं से पूरी दुनिया की लगभग 20 फ़ीसदी ऑक्सीजन प्रोड्यूस्ड होती है. 

2. औद्योगिक परियोजनाओं की वजह से भारत के जंगलों का पहुंचा नुकसान 

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विभिन्न औद्योगिक परियोजनाओं के नाम पर भारत में इस साल भी वनों की कटाई जारी रही. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल औद्योगिक विकास के नाम पर हरियाणा के क्षेत्रफल के जितने जंगलों की बलि चढ़ा दी गई. 

3. चेन्नई में गहराया जल संकट 

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इस साल जून में चेन्नई में पीने के पानी की कमी के चलते वहां पर सूखे जैसे हालात हो बन गए थे. सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों से पता चला है कि वहां के प्रमुख जलाशयों का जल स्तर लगातार घट रहा है, जिसका प्रमुख कारण है, क्लाइमेट चेंज. 

4. राजस्थान में बर्फ़बारी

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इतिहास में पहली बार राजस्थान के नागौर ज़िले में लगभग एक घंटे तक लगातार बर्फ़बारी हुई थी. अमूमन गर्म रहने वाले इस इलाके में बर्फ़बारी होना भी जलवायु परिवर्तन के ख़तरनाक स्तर तक पहुंचने की ही बात कह रहा है.

5. भारत के 9 राज्यों में आई बाढ़ 

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इस साल महाराष्ट्र से लेकर केरल तक भारत के 9 राज्य बाढ़ से परेशान रहे. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें क़रीब 100 लोगों ने जान गंवा दी और लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा. 

6. आर्कटिक में बर्फ़ का सबसे पुराना और सबसे स्थिर पैच तेज़ी से गल रहा है 

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कनाडा में हुई एक रिसर्च में पता चला है कि आर्कटिक में बर्फ़ का सबसे पुराना और सबसे स्थिर पैच तेज़ी से पिघल रहा है.

7. आर्कटिक महासागर के एक हिस्से से 2044 तक बर्फ़ पूरी तरह गायब हो जाएगी 

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आर्कटिक महासागर तेज़ी से गर्म हो रहा है. इसके कारण 2044-67 के बीच में इसके एक हिस्से से बर्फ़ पूरी तरह गायब हो जाएगी. 

8. बेंगलुरू की झील में उठा झाग 

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बेंगलुरू की बेलंदूर और वर्थुर झील लगातार ज़हरीली होती जा रही हैं. बेलमदूर झील में तो इस साल 10 फ़ीट ऊंचा ज़हरीला झाग उठा था. 

9. ध्रुवीय भालूओं का खाने की खोज में शहरों तक पहुंचना 

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आर्कटिक में पिघल रही बर्फ़ के चलते ध्रुवीय भालूओं के सामने खाने की समस्या उत्पन्न हो गई है. इसके चलते वो शहरों का रुख करने लगे हैं.

10. ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग 

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नवंबर में ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में भीषण आग लग गई थी. इसमें 350 Koala भी जलकर मर गईं. ये ऑस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला एक जानवर है. इस आग के कारण वहां पर फ़ायर इमरजेंसी घोषित करनी पड़ी थी. 

11. 2100 तक हिंदुकुश पर्वत के ग्लेशियर पिघल जाएंगे 

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हिंदुकुश पर्वत जो दुनिया के मीठे पानी के मुख्य सोर्स में से एक है, उसके ग्लेशियर 2100 तक पिघल जाएंगे. इसकी वजह भी जलवायु परिवर्तन है. 

12. 2050 तक खाद्य सुरक्षा को लगेगा बहुत बड़ा झटका 

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जानकारों का कहना है कि साल 2050 तक खाद्य सुरक्षा की समस्या और भी विकराल हो जाएगी. उनका कहना है कि इस वर्ष तक वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों की मांग 50 फ़ीसदी बढ़ेगी और उत्पादन 30 फ़ीसदी गिर जाएगा. 

13. सितंबर 2019 मानव इतिहास का सबसे गर्म सितंबर का महिना रहा 

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एक रिसर्च में ये साबित हुआ है कि इस साल का सितंबर मानव इतिहास का सबसे गर्म सितंबर का महिना रहा. यही नहीं 1981 से 2010 सितंबर के महीनों का आंकलन करने पर पाया गया कि इस साल का सितंबर महिना इनसे 0.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था. 

अगर वक़्त रहते हमने जलवायु परिवर्तन को लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं अपनाई तो इसका ख़ामियाज़ा हमें ही भुगतना पड़ेगा. 

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