भारतीय संस्कृति इतनी विस्तृत और विशाल है कि इसे शब्दों में क्या, किताबों में भी पूरा नहीं किया जा सकता. जिन्हें भारत की विख्यात संस्कृति के बारे में न भी पता हो, उन्हें ये शब्द अच्छे से पता होंगे:

योग, निर्वाण (फिरंग इसे Nirvana कहते हैं) और ओम

है न?

Gurugangeshwar

ओम शब्द को तो ब्रह्माण्ड से जोड़ कर देख जाता है कि इस ध्वनि में समस्त संसार है. अभी तक इस शब्द को भारतीयों और ख़ास कर हिन्दुओं की पहचान के रूप में देखा जाता रहा है. इस शब्द के बारे में इतना कुछ जानने के बाद भी एक चीज़ हम भूल गए. इसका उच्चारण ओम नहीं ओउ्म् है.

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ईशा फाउंडेशन ने ओउ्म् के उच्चारण पर एक स्टडी करवाई, जिसका मकसद ये देखना था कि ओउ्म् Chant करने के बाद Athletes के बिहेवियर में क्या फ़र्क आया. इस स्टडी के बाद ये निष्कर्ष निकला गया कि ओउ्म् के मंत्रोच्चार से खिलाड़ियों के दिमाग़ पर काफ़ी असर पड़ा. उनके हार्ट रेट, व्यवहार, Agility में बहुत फ़र्क आया. इस स्टडी की और भी कई Findings थीं, जिनमें सबसे बड़ी खोज थी ॐ का उच्चारण.

इस हिसाब से:

ओम नमः शिवाय नहीं, ओउ्म् नमः शिवाय होना चाहिए

या ओम शांति ओम नहीं, ओउ्म् शांति ओउ्म् होना चाहिए

उच्चारण

मेडिटेशन या Chant करते वक़्त लोग ओम शब्द का उच्चारण करते हैं, जबकि ओउ्म् शब्द का उच्चारण होना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि ओम कहते वक़्त सिर्फ़ एक शब्दांश (Syllable) का प्रयोग किया जाता है, या यूं कहें कि एक ही ध्वनि आती है. जबकि ओउ्म् तीन Syllable (शब्दांश) की ध्वनि का शब्द है. ओम जैसा उच्चारित किया जाता है, वैसा ही लिखा जाता है. जबकि ओउ्म् तीन शब्दाशों में तोड़ा जा सकता है, आ-ऊ-ई-म.

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अधिकतर लोग ग़लत उच्चारित करते हैं ब्रह्माण्ड के सबसे शक्तिशाली शब्द को

चाहे वैज्ञानिक हों या आध्यात्म, इस पूरे विश्व को एनर्जी या ऊर्जा के रूप में देखा जाता है. हर धर्म में जिन शब्दों का इस्तमाल ध्यान लगाने या मंत्रोच्चार में होता है, उन सभी से एनर्जी निकलती है. ओउ्म् शब्द का उच्चारण करने के बाद शरीर में एक वाइब्रेशन/ कम्पन महसूस कर सकते हैं. जबकि ऐसा ओम नहीं नहीं होगा.

अनहद नाद है ओउ्म्

अनहद नाद को यूं समझाया जा सकता है कि ये स्ट्राइकिंग साउंड होता है, जिसमें कोई रुकावट न हो. इसका उच्चारण करते हुए आपके मुंह (Oral Cavity) में कोई रुकावट नहीं आये. ओउ्म् के उच्चारण में भी कोई रुकावट नहीं आती. ओउ्म् का उच्चारण करने से नाभि, पेट के निचले हिस्से, छाती और गले के पास वाइब्रेशन महसूस होगी.

कैसे हुआ ओउ्म् से ओम

ऐसा नहीं है कि हम पहले से ही ग़लत शब्द का उच्चारण करते आ रहे हैं. ओउ्म् से ओम बनने के पीछे एक वजह इसका बाकी भाषाओं में Transliteration या लिप्यंतरण होना है. इस तरह देवनागरी ओउ्म्, बाकी लीपियों में जाने से ओम बन गया. 

Source: TOI