स्कूल, कॉलेज से लेकर नौकरी तक के सफ़र में आप कितने ही ऐसे लोगों से मिले होंगे, जिन्हें दिन में सपने देखने की आदत होगी. कई बार ऐसा भी हुआ होगा कि आप किसी से बात करते-करते अचानक एक दूसरी दुनिया में ही पहुंच गए. ज़्यादातर मौकों पर दिन में सपने देखने वाले इन लोगों की बात को गंभीरता से नहीं लिया जाता, या फिर इन्हें दुत्कार दिया जाता है, बावजूद इसके कुछ लोग ताउम्र इस मायावी दुनिया को नहीं छोड़ पाते.

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दरअसल, Day Dreaming एक ख़ूबसूरत पलायन है. रोज़मर्रा की नीरस और एकस्वर ज़िंदगी से एक छोटा-सा ब्रेक.लोग अलग-अलग तरीकों से और कई सारे कारणों से इसका मोह नहीं छोड़ पाते. ज़्यादातर लोग अपने भविष्य के प्रति किसी न किसी योजना में मशगूल रहते हैं, वहीं ऑफ़िस के समय इस प्रक्रिया में मशगूल रहना कई लोगों का प्रिय शगल होता है. ऑफ़िस की बोरिंग दुनिया से दूर खुली आंखों के सपने हमें बेहद सुहाने लगते हैं और चाहे कुछ ही पलों के लिए ही सही, लेकिन हम दुनिया की निर्मम वास्तविकता से दूर होते हैं.

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हालांकि कई लोग इसे मेनस्ट्रीम ज़िंदगी से मुंह मोड़ने और काम से जी चुराने के तौर पर देखते हैं, वहीं कुछ लोगों का ये भी मानना है कि Day Dreaming महज आलस्य भरी आदत और समय की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं है.

लेकिन हाल ही में आई एक रिसर्च ने भी साबित किया है कि आपकी ये ‘ख़राब’ आदत दरअसल आपकी क्रिएटविटी को नए कलेवर प्रदान कर सकती है. नेचर रिव्यू न्यूरोसाइंस में छपे एक आर्टिक्ल के मुताबिक, Day Dreaming दरअसल आपकी रचनात्मकता को बढ़ाने में सबसे कारगर तरीका हो सकता है. यानि अगर आपको लगता है कि आपका दिमाग कुछ न करने की हालत में एकदम ठप्प पड़ जाता है, तो आपको एक बार फिर इस बारे में सोचने की ज़रूरत है.

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इस नई रिसर्च के मुताबिक, आपके Thought Processes का निर्माण रचनात्मक कार्यों, क्रिएटिव थिकिंग या सरल भाषा में कहें तो मस्तिष्क के आवारा होने पर ही संभव हो पाता है. एक ऐसे समय जब आप काम और ज़िम्मेदारियों के झंझट से मुक्त होते हैं, जब आपका दुनियादारी से कोई मतलब नहीं होता और जिस समय आप केवल अंतर्मन से जुड़े गहरे और अस्तित्ववादी सवालों के जवाब ढूंढने में मशगूल होते हैं.

हालांकि इस स्टडी की सबसे आश्चर्यजनक बात ये रही कि रचनात्मकता और नवीनता, इन गूढ़ विचारों के बिना संभव नहीं. इन विचारों के बिना क्रिएटिविटी और नॉवेल्टी की उम्मीद करना भी बेमानी है. Day Dreaming इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आपको मेंटल किक मिलता है और इस दौरान आपका दिमाग मानसिक दबावों से मुक्त होता है. ऐसा कहा जा सकता है कि भावात्मक तरीके से सोच पाना ही, कहीं न कहीं रचनात्मक विचार का आधार है.

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रिसर्चर्स का ये भी कहना है कि हर समय वास्तविकता से दूर भागना और भ्रम की दुनिया में रहना आपको मानसिक रूप से बीमार भी बना सकता है. इससे बैचेनी, डिप्रेशन और Attention Deficit Hyperactivity Disorder (ADHD) जैसी बीमारियां हो सकती हैं. लेकिन दिलचस्प ये है कि रिसर्चर्स ने इन बीमारियों को मस्तिष्क के लिए Blessing in Disguise बताया है. मसलन एक बैचेन दिमाग आपको जरूरी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है. वहीं ADHD से ग्रस्त इंसान खुले दिमाग से सोच सकता है.

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हमारा दिमाग यूं तो एक विचार से दूसरे विचार की तरफ़ बड़ी तेज़ी से घूमता है, लेकिन कई बार ये एक ख़ास ख्याल से आगे बढ़ ही नहीं पाता. अक्सर ऐसे ख्यालों की जड़ में कोई परेशानी या इमोशन ज़रूर होता है. इस परेशानी का एक उपाय ये है कि आप अपने दिमाग में बनने वाले Thought Patterns को पहचान लें और जैसे ही ये विचार नकारात्मक उत्पन्न होने लगे, कुछ ऐसा करें जिससे आपका अपने ख्यालों से ध्यान हट सके. इसके अलावा दिन में कुछ समय आप केवल अपने मन और मस्तिष्क के लिए रखें. कोशिश करें कि दिन का ऐसा ही समय चुनें, जब आप सकारात्मक महसूस कर रहे हों. मेडीटेशन जैसी प्रक्रिया भी इस मामले में बेहद काम आ सकती है.

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Day Dreaming को समाज में कमतर और तुच्छ समझा जाता है. उसका कारण यही है कि हमें केवल नतीजे चाहिए. जॉब, परिवार और ज़िम्मेदारियों के बीच आखिर क्यों इस तरह की रचनात्मक गतिविधि को बढ़ावा दिया जाएगा. हमारी 24 घंटे रफ़्तार भरती, दौड़ती-भागती ज़िंदगी के बीच रुकने का समय किसी के पास नहीं है.

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शायद यही कारण है कि दुनिया के सबसे बेहतरीन दिमाग वाले आर्टिस्ट्स, लेखक, कवि और आविष्कारक Day Dreamers ही थे. तो आपको जब भी मौका मिले, दुनिया की परवाह किए बगैर, अपनी दुनिया में ंबेझिझक खो जाने के लिए तैयार रहें.

Source: Powerofpositivity

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