अकेलापन किसी को भी परेशान कर सकता है. मगर जब ये अपने किसी क़रीबी पर बीतते देखा हो, तो ज़्यादा महसूस होता है. ऐसा ही कुछ अनन्या ग्रोवर ने महसूस किया अनन्या बताती हैं कि उसके दादा-दादी पिछले ही साल उन्हें हमेशा के लिए छोड़कर चले गए. उसकी दादी की मौत कैंसर से हुई थी, लेकिन उसके दादाजी की मौत अकेलेपन से हुई. 

अपने दादाजी की अकेलेपन से मौत को देखकर अनन्या बहुत दुखी हुईं. इस हादसे ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया कि किसी अपने के चले जाने से इंसान कितना अकेला हो जाता है. पूरा परिवार होने के बावजूद भी उस अकेलेपन को भरना बहुत मुश्क़िल होता है. इसी का हल निकालते हुए अनन्या ने अपने दोस्तों से बात की और कुछ अलग करने की सोची. 

फिर अनन्या ने अपनी दोस्त अनुष्का शर्मा, आरिफ़ा, वंशिका यादव और एमिटी इंटरनेशनल स्कूल, नोएडा की वसुधा सुधींदर ने अनाथालयों में बच्चों और वृद्धावस्था में वरिष्ठ नागरिकों के बीच एक संचार चैनल बनाया, जिसका उद्देश्य सिर्फ़ ये है कि एक दूसरे के समय बिता सकें और अकेलेपन से बच सकें.  

इस एप्लीकेशन का नाम ‘मैत्री’ है. ये एक संस्कृत शब्द है, इसका हिंदी में मतलब दोस्ती होता है. अनन्या कहती हैं, 

इसके ज़रिए हम लोगों के अकेलेपन को भरने का काम करते हैं.

आपको बता दें, अनन्या ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर मार्च 2019 में इस अकेलेपन के ख़त्म करने के लिए काम करना शुरू किया था. इसके लिए वो लोग वृद्धाश्रम और अनाथालयों के 140 संचालकों से मिले और उन्हें अपना आइडिया समझाने की कोशिश की. शुरू में एक-दूसरे को समझने और समझाने में समय लगा. एक बार जब हम समझ गए, तो चीज़ें आसान हो गईं और जुलाई में ‘मैत्री’ बन गई थी. इसे 1,000 से अधिक लोगों ने डाउनलोड किया और टीम ने दिल्ली में अनाथालयों और वरिष्ठ देखभाल घरों से जुड़े दो ऑफ़लाइन कार्यक्रमों का सफ़लतापूर्वक आयोजन भी किया.

इस App पर तीन तरह के यूज़र्स हैं, एक वो जो वॉलेंटियर करना चाहते हैं, दूसरे वो जो डोनेशन देना चाहते हैं और तीसरे वो जो इसके लिए संचालक के तौर पर काम करना चाहते हैं. अबतक दिल्ली में इसके 7 रजिस्टर्ड अनाथालय हैं और 13 रजिस्टर्ड वृद्धाश्रम हैं. अगर आप इस Maitri App को डाउनलोड करना चाहते हैं, तो कर सकते हैं.