भारत और विश्व के अन्य देशों में ग्लोबल वॉर्मिंग, जलवायु परिवर्तन, पेड़ लगाने से जुड़े गंभीर मुद्दों पर गंभीरता से बातचीत पिछले 1 दशक से शुरू हुई है.
‘वृक्ष माता’ के नाम से मशहूर 106 वर्ष की सालूमरदा थीमक्का कर्नाटक की पर्यावरणविद हैं. उन्होंने Hulikal और Kudoor गांव के बीच में हाइवे के पास चार किलोमीटर के क्षेत्र में 385 बरगद के पेड़ लगाए हैं.
ऐसी ही हैं एक और मां हैं, जिन्होंने एक पूरे जंगल को पाल-पोस के बड़ा किया है. देवकी अम्मा ने आज से 40 साल पहले पहला पेड़ लगाया था.
The Better India से बातचीत करते हुए देवकी अम्मा ने बताया,
पीढ़ियों से मेरा परिवार और मेरे ससुराल वाले खेती-बाड़ी का काम करते आए हैं. पुरुष कॉरपोरेट नौकरियां करने लग जाते हैं, पर महिलाएं खेती का ही काम करती हैं.
-देवकी अम्मा
विवाह के बाद, देवकी अम्मा अपनी सास के साथ धान की खेती करने लगीं और 1980 तक यही किया. 1980 में एक दुर्घटना में उनके पैर में बुरी तरह चोट लगी और उन्हें चलने-फिरने के लिए भी मना कर दिया गया. देवकी अम्मा ज़ख़्मी हो गई थीं और उनकी सास काफ़ी बुढ़ी हो गई थी इसलिए उनके परिवार को धान की खेती-बाड़ी का काम बंद करना पड़ा.
इसके बावजूद देवकी अम्मा का खेती से प्रेम कम नहीं हुआ. अम्मा ने दुर्घटना के 3 साल बाद, अपने घर के पीछे एक पौधा लगाया. एक के बाद एक पौधे लगते चले गए और अलापुज़ा ज़िले के एक गांव में 5 एकड़ की ज़मीन पर हरा-भरा जंगल बन गया.
देवकी अम्मा के पति, गोपालाकृष्णा पिल्लई उनके लिए किस्म-किस्म के बीज ले आते. देवकी अम्मा के बच्चों और रिश्तेदारों ने भी उनकी सहायता की और उन्हें तोहफ़े में पौधे देने लगे.
मेरी मां के पौधे लगाने के सफ़र में 4 पीढ़ियों ने उनका साथ दिया है. स्कूल की छुट्टियों में अम्मा के पोते-पोतियां घर के पीछे आकर पुराने पेड़ों को देखते हैं और नए लगाते हैं. पेड़ लगाना के साथ जुड़ा उत्साह उतना ही होता है जितना किसी त्यौहार में.
-Professor D. Thankamani
अम्मा अपने पेड़ों के लिए प्राकृतिक खाद का ही प्रयोग करती हैं. इस जंगल में अब लगभग 1000 पेड़ हैं. पानी की समस्या को दूर करने के लिए अम्मा वर्षा जल संचयन को भी प्रोत्साहित करती हैं.