कभी-कभी इंसान का दर्द ही उसकी सबसे बड़ी ताकत बन जाता है. कुछ ऐसा ही कश्मीर की नुसरत परवीन के साथ भी हुआ. 36 वर्षीय नुसरत ने ‘मिसेज़ इंडिया इंटरनेशनल 2018’ का ख़िताब जीत कर, देश-दुनिया की तमाम महिलाओं के लिए एक मिसाल कायम कर दी है. प्रतियोगिता का आयोजन मलेशिया में हुआ था और वो कश्मीर की पहली मुस्लिम महिला हैं, जिन्होंने अंतराष्ट्रीय स्तर पर ये बड़ी उपलब्धि हासिल की है.
नुसरत ने अपनी इस सफ़लता का श्रेय अपने दर्द को दिया है. वो कहती हैं, ‘मेरा दर्द काफ़ी गहरा और क्रूर था, लेकिन मैंने अकेले ही सारी मुसीबतों का सामना किया और सभी दुखों को पीछे छोड़ते हुए ख़ुद से ही आगे बढ़ने का फ़ैसला किया.’
दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के येरीपोरा खाानपोरा गांव की रहने वाली नुसरत के तीन बच्चे भी हैं. अपनी शादी को नुसरत ने उनकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा दर्द और धोख़ा बताया है, लेकिन वो ये भी कहती हैं कि उनकी असफल से शादी की वजह से ही उन्हें कुछ करने की प्रेरणा मिली. नुसरत ने महाराष्ट्र के रहने वाले एक Architect से प्रेम विवाह किया था, जो कायमाब होने की चाह में परिवार और बच्चों से दूर होता चला गया.
यही नहीं, जब नुसरत को उसकी दूसरी शादी के बारे में पता चला, तो वो अंदर से टूट गईं और उसी वक़्त उन्होंने उस इंसान के साथ न रहने का फ़ैसला किया. नुसरत ने अपनी शादी को सफ़ल बनाने का हर प्रयास किया, जैसे कि हर भारतीय महिला करती है, लेकिन उस शख़्स के धोखे ने उन्हें अंदर से झकझोर कर रख दिया था.
ब्यूटी पेजेंट में टॉप टेन में पहुंचने पर उन्होंने वहां बठे जज से कहा, ‘मैं एक गृहिणी हूं, तीन बच्चों की मां हूं, जो अपने घर की चार दीवारों तक सीमित है. अपने बच्चों और घर के कामों की देखभाल करती हूं. आज मैं पहली बार मंच पर हूं.’ इस दौरान उन्होंने Judges से हिंदी में बोलने का भी आग्रह किया.
समाज में कई ऐसी महिलाएं हैं, जो घेरलू हिंसा का शिकार होती हैं. ऐसे में नुसरत उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो ख़ुद को सिर्फ़ एक गृहिणी समझ कर पति का अत्याचार बर्दाशत करती हैं. उठिये अपने अंदर के छिपे हुनर को पहचानिये और आगे बढ़िये. Well Done! नुसरत पूरे देश को आप पर गर्व है.