प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, लाल किले से कई घोषणाएं की थी. उनमें से एक थी भारत के पहले Human Space Flight Mission की घोषणा.
मोदी जी ने कहा था कि गगनयान 2022 तक भारत की कोई संतान तिरंगे को अंतरिक्ष तक पहुंचाएगी.

भारत के Human Space Flight Mission के प्रमुख के रूप में ISRO के चेयरमैन, के.सिवन ने ललिथंबिका वी.आर. को चुना है.
इस मिशन में 10 हज़ार करोड़ ख़र्च होंगे.
कौन हैं ललिथंबिका?
ललिथंबिका ने Launch Vehicle Technology में Astronautical Society of India For Excellence Award जीता है.
TOI को दिए साक्षात्कार में ललिथंबिका ने कहा,
घर में बचनन से ही मुझे विज्ञान और तकनीक को क़रीब से देखने का मौका मिला. मेरे दादाजी घर पर ही Telescope, Lens, Microscope आदि बनाते थे. थिरुवनंथपुरम स्थित हमारा घर थुम्बा रॉकेट टेस्टिंग सेंटर से काफ़ी पास था. मैं घर से रॉकेट लॉन्च की आवाज़ सुनती थी. दादाजी मुझे इसरो के काम-काज के बारे में बताते रहते थे. इस तरह बचपन से ही इसरो के प्रति आकर्षण था. मैं इंजीनियर्स के घर से हूं.

ललिथंबिका ने रॉकेट के Autopilot निर्माण का काम किया है. भारत के Human Space Mission के रॉकेट Geosynchronous Satellite Launch Vehicle (GSLV-Mk-3) के निर्माण में भी ललिथंबिका ने अहम भूमिका निभाई है. ललिथंबिका विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर की डिप्टी डायरेक्टर भी रह चुकी हैं.
2004 से ही भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने का काम चल रहा है.
स्पेस शटल में एक कैपस्यूल होता है, जिसमें अंतरिक्ष यात्री सफ़र करते हैं, इसे बनाने में सफ़लता पाना बहुत कठिन होता है. ISRO ने इस कैपस्यूल के Proto-type का सफ़ल परिक्षण कर लिया है. जुलाई में Pad Abort Test (एक ऐसा Test जिसमें Launch Escape System का परिक्षण किया जाता है) का सफ़ल परिक्षण कर लिया था.

भारत की कई बेटियों ने भारत के रॉकेट प्रोग्राम्स में अहम भूमिकाएं अदा की है. भारत की ‘अग्निपुत्री’ Tessi Thomas ने अग्नि-4 और अग्नि-5 मिसाइल प्रोग्राम्स का नेतृत्व किया था. डॉक्टर शशिकला सिन्हा ने Ballistic Missiles से भारत के बचाव प्रोग्राम में काम किया था.
अगर ये मिशन सफ़ल हुआ तो भारत, सफ़लतापूर्वक अंतरिक्ष में अंतरिक्षयात्री भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा.