ब्रितानिया राज से पहले पूरी दुनिया भारत के नक्शे कदम पर चलती थी. ये सर्वविदित है कि अंग्रेज़ों ने न सिर्फ़ हमारे देश को खाली किया, बल्कि हमारे मनोबल को भी तोड़ कर रख दिया. हमारे अंदर ये भावना भर दी कि हम पिछड़े हैं, अनपढ़ हैं.
शायद ये प्रकृति का नियम ही है. पहले पश्चिम, पूर्व(यानि की भारत) के दिखाये रास्ते पर चलता था. कुछ शताब्दियों बाद स्थिति इसके ठीक विपरीत हो गई. हम भारतीय पश्चिम की कॉपी करने लगे. शिक्षा, पहनावा, खान-पान, हम सभी पश्चिमी तौर-तरीके अपनाने लगे.
अब दोबारा, पश्चिम को पूर्व के नक्शे कदम पर चलते देखा जा सकता है. हमारे खान-पान से लेकर हमारी अपनी चीज़ें जिन्हें हम कहीं न कहीं दरकिनार करते आ रहे हैं. जैसे- हल्दी वाला दूध अब पश्चिम देशों में Turmeric Latte नाम से बेचा जाता है और पसंद भी किया जाता है. और हम हल्दी वाला दूध को छोड़, एलोपैथी की तरफ़ भागते हैं.
अब हाथ से खाना खाने की ही बात कर लीजिये. हम घर पर भले ही पाल्थी लगा कर मज़े से दाल-चावल या इडली-डोसा खाते हों, पर दफ़्तर और रेस्त्रां में हम इच्छा-अनिच्छा से ही छुरी-फ़ोर्क उठा लेते हैं. जबकि छुरी-फ़ोर्क से डोसा खाना मुश्किल है, तब भी जबरन कोशिश करते हैं. जिन्हें फ़ोर्क और छुरी की आदत है, उनके लिए तो ये आसान है और जिन्हें नहीं है, वो ये मान लेते हैं कि रेस्त्रां में छुरी-फ़ोर्क उठाना अनिवार्य है.
हाथ से खाने की आदत के फ़ायदों को तवज्जो देते हुए कुछ विदेशी रेस्त्रां हाथ से खाने की आदत को बढ़ावा रहे हैं. न्यूयॉर्क, कैंब्रिज, सेन फ्रैंसिसको के कुछ रेस्त्रां अपने ग्राहकों को हाथ से खाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. थोड़ा अजीब है, पर सच है. ये रेस्त्रां पहले कटलरी (छुरी-फ़ॉर्क) को तवज्जो देते थे, पर अब हाथ से खाने की तरफ़ मुड़ गए हैं. कारण, इन्होंने हाथ से खाने के फ़ायदों को पहचाना है.
हम भारतीयों को तो हाथ से खाने में स्वाद आता है, पर इसके कई अन्य फ़ायदे भी हैं-
- हाथ की ऊंगलियों और हथेलियों में पाए जाने वाले कुछ जीवाणु पाचन क्रिया में सहायक होते हैं.
- Type 2 मधुमेह रोकने में सहायक
- आप अपने निवाले का आकार ख़ुद तय कर सकते हैं, इस तरह आप ज़्यादा नहीं खायेंगे.
- हाथ से खाना एक प्रकार की Exercise भी है.
- लोगों को ये अस्वच्छ लगता हो, पर हाथ से खाना ज़्यादा स्वच्छ है.
सिर्फ़ भारतीय ही नहीं, अफ़्रीकी और मिडल ईस्ट संस्कृतियों में भी लोग हाथ से ही खाना खाते हैं.
पश्चिमी रेस्त्रां के देखा-देखी ही शायद अब भारतीय रेस्त्रां में भी हाथ से खाने पर लोगों को Judge नहीं किया जाता. चाहे वो Taj हो या फिर कोई और रेस्त्रां. हमारी ये आदत रही है कि हम दूसरों की नकल करते हैं. यहां भी हम वही कर रहे हैं.
जो भी कह लो, जो मज़ा हाथ से दाल-चावल या कढ़ी-चावल या बटर चिकन खाने का है वो चम्मच, छुरी, कांटे से खाने में कहां?