ख़ुशियां ढूंढने या ख़ुश रहने की एक्टिंग करने से ज़्यादा ज़रूरी है ख़ुशियों को समझने की. क्योंकि सुबह से शाम तक ख़ुशियों के पीछे और ख़ुशियों के लिए भागते रहते हैं. मगर मन में कहीं न कहीं एक कसक रह ही जाती है. इसकी वजह है हमारा बेकार की चीज़ों में ख़ुशियां ढूंढना.
अगर आप ध्यान देंगे तो ख़ुशियां आपके आस-पास ही हैं, जो आपकी ही ज़िंदगी का हिस्सा हैं:
1. शांति (Peace)

अगर आपके पास सारे ऐश-ओ-आराम हों और शांति न हो तो ये सब बेकार हैं, वो ख़ुशियां भी आपको अच्छी नहीं लगेंगी. इसलिए मन को उलझाने या निगेटिव सोच रखने से बेहतर उसे शांत और पॉज़ीटिव रखना.
2. आज़ादी (Freedom)

आज़ादी का मतलब ये नहीं कि आप किस चीज़ के लिए आज़ाद है, बल्कि ये भी है कि आप किस चीज़ से आज़ाद हैं. इसलिए आज़ादी पर बात करने से ज़्यादा ज़रूरी है कि उसे समझना क्योंकि ख़ुशियों से ज़्यादा ज़रूरी है आपकी ख़यालों, सोच, इमोशन, कुछ पाने की चाह और अपनी राह चुनने की आज़ादी.
3. विकास (Growth)

दोस्त और फ़ैमिली से ज़्यादा ज़रूरी है आपका ख़ुद का विकास. क्योंकि ज़िंदगी में सबसे ज़्यादा अगर कोई आपका साथ देगा तो वो आप ख़ुद हैं. इसलिए आप क्या बन सकते हैं और आप क्या हैं इस बात का ध्यान ज़रूर रखें.
4. संबंध और जुड़ाव (Connection)

सोशल मीडिया पर कितने भी दोस्त बना लो. मगर असली ख़ुशी तभी मिलती है जब हमारे पास कुछ ऐसे लोग हों जिनसे हम बिना डरे, बिना झिझके और बिना शर्म के ख़ुलकर बात कर सकें.
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