एक मशहूर राजा के साथ प्रेम संबंध बनाने के बाद एक विवादित दूसरी शादी. हीरे-जवाहरातों के लिए अपार प्रेम और हॉलीवुड के लेजेंड्स, विश्व के फ़ैशन आइकन्स के साथ उठना-बैठना. ऐसी थी बड़ौदा की रानी, सीता देवी की ज़िन्दगी.

आंध्र प्रदेश के पीठापुरम के महाराजा सूर्य राव और उनकी महारानी चिन्नम्मा के घर 12 मई 1917 को सीता देवी का जन्म हुआ.

1943 में बड़ौदा के महाराजा, प्रतापसिंह राव गायकवाड़ ने सीता देवी को जब देखा था, तब तक सीता देवी के 3 बच्चे हो चुके थे. सीता देवी और प्रतापसिंह को एक दूसरे से प्यार हो गया.

महाराजा से शादी करने के लिए पहले पति से तलाक़ ज़रूरी था. सीता देवी ने धर्मपरिवर्तन किया और मुस्लिम बन गईं. पहले पति को तलाक़ देने के बाद उन्होंने फिर से धर्मपरिवर्तन करवाया, हिन्दू बनीं और महाराजा से शादी की.

विवाह के बाद सीता देवी का नाम हुआ,

श्रीमंत अखंड सौभाग्यवती सीतादेवी साहिब गायकवाड़

दुनिया के 8वें सबसे अमीर व्यक्ति की पत्नी. महाराज ने बड़ौदा के राजकोष से बहुत सारा धन और कई महंगे जवाहरात निकालकर सीता देवी को तोहफ़े में दिए.

प्रतापसिंह और सीतादेवी की शादी विवादों से घिरी थी. एक ख़ुशहाल जि़न्दगी जीने के लिए ये दोनों फ़्रांस के मोनाको में रहने लगे.ॉ

सीता देवी एश-ओ-आराम की ज़िन्दगी जी रही थी. विश्व के नामी-गिरामी लोगों के साथ उनका उठना-बैठना था. उनकी छोटी से छोटी चीज़ें भी उनकी अमीरी को दिखाती थी. उनके Cigarette Holder में भी रूबी जड़े थे. एक ऐसा दौर जब महारानियां सिर पर पल्ला रखती थीं, सीता देवी खुलकर जीती थीं और नियमों को नहीं मानती थी.

अपने बालों को हमेशा पीछे की तरफ़ बांधकर अपने जवाहरात दुनिया को दिखाती थीं रानी साहिबा.

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सीता देवी के पास एक तीन लड़ियों वाला हीरों का हार था. उस हार में विश्व प्रसिद्ध ‘Star of the South’ कहा जाने वाला 128.80 कैरट का गुलाबी ब्राज़ीलियन हीरा और 78.53 कैरेट का ‘English Dresden’ हीरा जड़ा था.

फ़्रेंच कंपनी, Van Cleef & Arpels से उन्होंने अपने लिए सोने की जिभिया (Tongue Cleaner) बनवाई थी. कहते हैं मानाको के उनके घर में मोतियों की एक कालीन भी थी.

सीता देवी के सम्मान में French Factory Saree & Co. स्थापित की गई थी और उनकी मृत्यु के बाद इसे बंद कर दिया गया.

सीता देवी 1000 फ़्रेंच शिफ़ॉन साड़ियां लेकर घूमने निकलती थीं और हर साड़ी के साथ मैचिंग जूते और पर्स भी लेकर चलतीं.

सीता देवी ने अपने पति को 1956 में तलाक़ दे दिया लेकिन शान-ओ-शौक़त से उनका लगाव बना रहा. कहते हैं अपनी जीवनशैली को बरक़रार रखने के कारण उन्हें अपने कुछ ज़ेवर भी बेचने पड़े.

सीता देवी के बेटे प्रिंसी की आत्महत्या ने उन्हें तोड़ दिया. प्रिंसी ने अपने 40वें जन्मदिन पर आत्महत्या कर ली. 4 साल बाद रानी की भी मृत्यु हो गई.