हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में महिलाओं की स्थिति कुछ ज़्यादा बेहतर नहीं है. कई देशों में महिलाओं को अनेक तरह से शोषण का शिकार होना पड़ता है. मगर लगातार कड़े प्रयासों की वजह से कुछ जगहों पर बदलाव की बयार दिखाई देने लगी है. कामगार महिलाओं के साथ कम्पनीज़ में वेतन को लेकर कोई भेदभाव ना किया जाये, इसके लिए जर्मनी की सरकार ने बुधवार को एक नया क़ानून पारित कर डाला.
इस क़ानून के तहत जिस कंपनी में 200 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं, उनमें कर्मचारियों को एक-दूसरे की सैलरी जानने का अधिकार होगा. यह इसलिए किया गया है ताकि समान कार्य करने वाले महिला और पुरुष की तनख़्वाह में किसी तरह की असमानता ना की जा सके.
अभी तक कई कम्पनियां समान स्तर पर काम करने वाले पुरुषों को महिलाओं से ज़्यादा सैलरी देती आ रही थी. इस कानून के बाद इस भेदभावपूर्ण कृत्य पर विराम लगेगा और महिलाओं को भी समान कार्य के लिए पुरुषों के बराबर मेहनताना दिया जायेगा.
जर्मनी की महिला मामलों से जुड़ी मंत्री Manuela Schwesig ने बताया कि इस कदम से मर्द और औरत के बीच की खाई को पाटने में काफ़ी मदद मिलेगी. इस नियम के अंतर्गत जिन कंपनीज़ में 500 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं, उन्हें समय-समय पर सैलरी स्ट्रक्चर के अपडेट्स देने होंगे.
कई रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई है कि जर्मनी में समान स्तर पर काम के लिए महिलाओं को पुरुषों से 21% कम सैलरी दी जाती है.
कुछ लोगों की इस फ़ैसले को लेकर काफ़ी अलग राय है, उनका मानना है कि सभी कर्मचारियों की तनख़्वाह सार्वजनिक करने से कर्मचारियों में आपस में असंतोष बढ़ेगा.
जर्मनी ही नहीं, दुनिया के बाकी देशों की महिलाओं को भी कार्यस्थल पर मेहनताने के मामले में भेदभाव का शिकार होना पड़ता है. दुनिया के अन्य देशों को भी लैंगिक समानता की दृष्टि से ऐसे ही सराहनीय कदम उठाने चाहिए.