आंध्र प्रदेश के अनंतपुर ज़िले में भुखमरी और कुपोषण के चलते तीन वर्षीय संतोष और उसके दो साल की चचेरी बहन वेनेला की मौत हो गई है. इन दोनों ही बच्चों के माता-पिता दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं.  

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बड़े दुःख की बात है कि इस देश में जहां लोग हर दिन सैकड़ों टन खाना बर्बाद कर देते हैं वहीं दो मासूम बच्चे भूख मिटाने के लिए कीचड़ खाने को लाचार हैं.  

बीते रविवार को भोजन न मिलने पर मिट्टी खाने से दो साल की वेनेला की मौत हो गयी. दो साल की वेनेला अपनी मौसी नागमणि के पास रह रही थी. नागमणि अपने पति, मां और बच्चों के साथ कादिरी ज़िले के कुमारावंदलापल्ले गांव में रहती हैं. 

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दरअसल, नागमणि और उनके पति महेश रोज़गार की तलाश में लगभग दस साल पहले कर्नाटक के चिकबल्लापुर ज़िले से कदीरी चले आये थे. ये दोनों यहां पर अपने पांच बच्चों, नागमणि की मां और बहन की बेटी वेनेला का पेट पालने के लिए दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं.  

दरअसल, नागमणि और महेश के 3 साल के बेटे संतोष की भी 6 महीने पहले भुखमरी और कुपोषण के कारण से मौत हो गई थी. 

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कादिरी ग्रामीण के इंस्पेक्टर ए इस्माइल का कहना है कि इस दम्पति के पास रहने के लिए घर भी नहीं है. कुल 8 लोगों का ये परिवार एक अस्थायी झोपड़ी में रह रहा है. नागमणि और महेश ने दोनों बच्चों की देखभाल और पोषण का सही से ख्याल नहीं रखा, जिस कारण उनकी मौत हुई. मौत के बाद दोनों बच्चों को झोपड़ी के करीब ही दफ़ना दिया गया था.  

नागमणि और महेश के पड़ोसियों ने ही इस दर्दनाक वाकये की जानकारी कादिरी ग्रामीण के एसआई वेंकटस्वामी को दी थी.  

पुलिस के मुताबिक़, इनके पड़ोसियों का कहना था कि दोनों बच्चों ने भूख सहन न कर पाने के बाद कीचड़ खा लिया था. 

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ज़िले के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी केवीएनएस अनिल कुमार ने बताया कि दोनों बच्चों के माता-पिता काम की तलाश में बच्चों को उनकी दादी के साथ घर पर छोड़ दिया करते थे. हम अभी भी उसके पिता का पता नहीं लगा पाए हैं. हमारे सहायकों ने उन्हें टीकाकरण दिया था, लेकिन पेरेंट्स ने उनका सही से ख़याल नहीं रखा. बच्चों का पोस्टमॉर्टम तो नहीं किया गया, लेकिन हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उनकी मौत भूख और कुपोषण के कारण ही हुई थी.  

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कादिरी के राजस्व विभाग के अधिकारी टी अजय कुमार ने बुधवार को अनंतपुर ज़िला कलेक्टर के निर्देश पर घटना की जांच की. रिपोर्ट में कहा गया है कि महेश की पत्नी और सास रोजाना शराब पीती हैं. उन्होंने बच्चों की ठीक से देखभाल भी नहीं की, बच्चों के लिए खाना नहीं बनाया जाता था.   

रिपोर्ट में वेनेला की मौत को लेकर कहा गया है कि नागमणि और उसकी मां ने उसकी सही तरीके से देखभाल नहीं की. भूख और कुपोषण के कारण उसकी सेहत बिगड़ी. इस स्थिति में भी न तो नागमणि और न ही उसकी मां ने उसे अस्पताल ले गई न ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता को सूचित किया.   

‘चाइल्ड वेलफ़ेयर प्रोग्राम्स’ की विफ़लता 

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बाल अधिकारों के लिए लड़ने वाले एनजीओ ‘बालाला हक्कुला संघम’ की अध्यक्ष अच्युता राव ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर बच्चों को न्याय दिलाने और मौतों के लिए जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मान की है. ये सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है कि ‘बाल कल्याण योजनाओं’ की जानकारी माता-पिता तक पहुंचे.   

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इन दो बच्चों की मौत के बाद अब जाकर प्रशासन हरकत में आया है. इस परिवार के सभी बच्चों को एक स्थानीय आंगनवाड़ी केंद्र भेज दिया गया है.