भारत में आज भी 90 के दशक के बच्चे ख़ुद को सबसे स्पेशल पीढ़ी के बच्चे मानते हैं. 90 के दशक में पैदा हुए लोग आज 22 से 32 साल के हो चुके हैं. भारत में आज ये वो आयु वर्ग है जो सबसे अधिक टेक फ्रेंडली हैं. टेक्नोलॉजी पर आज इसी आयु वर्ग के लोगों का अधिकार ज़्यादा है. 90s के बच्चों ने भले ही बिजली, जहाज़, रेडियो के आविष्कार होते हुए नहीं देखे फिर भी ये पीढ़ी ख़ुद को सबसे स्पेशल मानती है. भारत में 90 का दशक वो दौर था जब देश में सूचना और तकनीक का प्रचार और प्रसार हुआ था.
चलिए जानते हैं आख़िर वो कौन-कौन सी वजहें थी जिनकी वजह से 90s के बच्चे खुद को स्पेशल मानते हैं-
1- राजीव गांधी भारत में ‘कंप्यूटर क्रांति’ लेकर आये
भारत में ‘कंप्यूटर क्रांति’ लाने का श्रेय देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) को जाता है. वो 31 अक्टूबर 1984 से 2 दिसंबर 1989 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे थे. अपने दौरान उन्होंने देश में ‘कंप्यूटर क्रांति’ लाने का वादा किया था और 1991 में अपनी मौत से पहले वो देश में कंप्यूटर लेकर आये. ये वो दौर था जब भारत सूचना और तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा था.
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2- भारत में ‘मोबाइल क्रांति’ की शुरुआत
वो 90 का ही दशक था जब भारत में ‘मोबाइल क्रांति’ की शुरुआत हुई थी. साल 1995 में Nokia ने पहली बार भारत में मोबाइल फ़ोन लॉन्च किया गया था. इस दौरान तत्कालीन केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुख राम और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु भारत में मोबाइल फ़ोन रखने वाले पहले और दूसरे शख़्स थे.
4- टेक्नोलॉजी की शुरुआत का दशक
भारत में 90 के दशक को टेक्नोलॉजी की शुरुआत करने वाला दशक कहें तो हैरानी नहीं होगी. 90s में केवल कंप्यूटर, मोबाइल, वीडियो गेम्स और कलर टीवी ही नहीं, बल्कि Walkman, Brick Game, Walky Talky, Brick And Cordless Phones, Cassette Video Games, Disc Man, Pager, Sony Playstation की शुरुआत भी हुई थी.
3- कलर टीवी की डिमांड बढ़ने लगी
भारत में वैसे तो कलर टीवी (Color TV) की शुरुआत 80 के दशक में ही हो गई थी, लेकिन तब केवल अमीर लोग ही इसका इस्तेमाल कर पाते थे. 90 के आख़िरी सालों तक लगभग 50 फ़ीसदी से अधिक भारतीय घरों में कलर टीवी चलने लगी थी. वो 90s का ही दौर था जब ‘कलर टीवी’ की मांग को आसमान छूने लगी थी.
5- 90s का ख़ूबसूरत म्यूज़िक
90 के दशक को भारतीय म्यूज़िक इंडस्ट्री का Golden Era भी कहा जाता है. ये वो दौर था जब हमें सबसे अच्छा संगीत सुनने को मिला. उदित नारायन, अलका याग्निक, कुमार सानू, कविता कृष्णमूर्ति, विनोद राठौर, अनुराधा पौडवाल, हरिहरन, साधना सरगम, सोनू निगम, अभिजीत भट्टाचार्य और केके समेत कई कलाकार 90s की ही देन हैं.
6- सचिन तेंदुलकर के रूप में नया ‘क्रिकेट सुपरस्टार’ मिलना
सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने सन 1989 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 16 साल की उम्र में डेब्यू किया था. लेकिन सचिन को असल पहचान 90 के दशक में मिली. कपिल देव के बाद भारत को सचिन के रूप में नया क्रिकेट सुपरस्टार मिला था. 90 के दशक में खेली गई सचिन की हर एक पारी आज भी हमें अच्छे से याद है.
7- शक्तिमान सीरियल की पॉपुलरिटी
शक्तिमान (Shaktimaan) भारतीय टेलीविज़न इतिहास के सबसे पॉपुलर टीवी सीरियल में से एक रहा है. 9 जुलाई 1993 को ‘शक्तिमान’ पहली बार दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ था. 90 के दशक में ये शो इतना पॉपुलर हुआ था कि बच्चे शक्तिमान की कही ज्ञानवर्धक बातें चुपचाप मान लिया करते थे. ये आज भी 90s के युवाओं का फ़ेवरेट शो है.
8- ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ जैसी फ़िल्म
भारतीय सिनेमा की सबसे बेहतरीन और सफल फ़िल्मों में से एक ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ 20 अक्टूबर 1995 को रिलीज़ हुई थी. इस फ़िल्म के ज़रिए 90s के युवाओं ने प्यार की एक नयी परिभाषा सीखी थी. ये फ़िल्म आज भी 27 सालों से मुंबई के ‘मराठा मंदिर थियेटर’ में चल रही है.
9- बेहतरीन ‘टीवी शो’ की भरमार
भारत में वैसे तो टीवी शो की शुरुआत 80 के दशक में ‘हम लोग’ धारावाहिक के साथ हो गई थी. लेकिन भारतीय टीवी शो को असल पहचान 90 के दशक में मिलनी शुरू हुई. जब ‘सुरभि’, ‘चंद्रकांता’, ‘देख भाई देख’, ‘मालगुड़ी डेज़’, ‘रामायण’, ‘शक्तिमान’, ‘कैप्टन व्योम’, ‘हम पांच’, ‘फ़्लॉप शो और ‘भारत एक खोज’ जैसे शानदार धारावाहिकों ने दर्शकों का ख़ूब मनोरंजन किया.
10- ऐश्वर्या राय और सुष्मिता सेन के ब्यूटी पेजेंट्स
ऐश्वर्या राय और सुष्मिता सेन साल 1994 में ‘मिस वर्ल्ड’ और ‘मिस यूनिवर्स’ बनी थीं. भारतीयों के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि थी. इस दौरान सुष्मिता सेन के रूप में भारत को अपनी पहली ‘मिस यूनिवर्स’ मिली तो पूरे 28 साल के इंतज़ार के बाद ऐश्वर्या के रूप में दूसरी ‘मिस वर्ल्ड’. ऐश्वर्या राय से पहले सन 1966 में रीता फ़ारिया ‘मिस वर्ल्ड’ का ख़िताब जीतने वाली पहली भारतीय थीं.
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