आपको जान कर हैरानी होगी कि दुनिया में सबसे ज़्यादा ग़ुलामी भारत में है और सबसे ज़्यादा ग़ुलामी करवाते भी भारतीय ही हैं. दुनिया के दो-तिहाई ग़ुलाम यहीं हैं. तीसरी वैश्विक दासता सूचकांक के अनुसार, 30.4 मिलियन की संख्या में भारत में ग़ुलाम मौजूद हैं.
आस्ट्रेलिया के मानवाधिकर समूह ‘वॉक फ़्री फ़ाउंडेशन’ की तरफ़ से जारी 2016 ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स के अनुसार, दुनियाभर में महिलाओं और बच्चों समेत 4 करोड़ 58 लाख लोग आधुनिक ग़ुलामी की ग़िरफ़्त में है.
यानी अंग्रेज़ों के जाने के बाद भी दास प्रथा जारी है, बस नाम बदल गया है. आजकल के दास ‘मॉर्डन स्लेव्स’ कहलाते हैं. अलग-अलग देशों में लोगों के अधिकारों का कितना सम्मान होता है, इसके आधार पर ये इंडेक्स तैयार किया जाता है. इसके अलावा बंधुआ मज़दूरी, वेश्यावृत्ति, भीख मांगवाना, जबरन शादी भी आधुनिक ग़ुलामी में शामिल हैं. Global Slavery Index में भारत सबसे ऊपर है.
दुनिया के सभी 167 देशों में आधुनिक ग़ुलाम पाए जाते हैं. लेकिन इसमें शीर्ष पांच देश एशिया के हैं. यानि, दुनिया भर के आधुनिक ग़ुलामों में से 58% एशिया में रहते हैं. पिछले वर्षों में भारत में आधुनिक ग़ुलामों की संख्या बढ़ी है. आयरलैंड, नॉरवे, डेनमार्क, स्विटज़र्लैंड, ऑस्ट्रिया, स्वीडन और बेल्जियम में सबसे कम लोग ग़ुलाम हैं.
भारत की इस स्थिति का कारण ये है कि लोगों के पास आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं, पेट भरने की मजबूरी में लोग बच्चों को बचपन से ही काम पर लगा देते हैं.
ग़ुलामों की संख्या के मामले में भारत के बाद चीन का नाम आता है. चीन में 34 लाख और पाकिस्तान में करीब 21 लाख लोगों को ग़ुलाम बना कर रखा गया है.
हालांकि, इंटेलीजेंस ब्यूरो ने कहा है कि इस रिपोर्ट से भारत में हो रहे सतत विकास के लक्ष्य 8.7 पर सीधा असर पड़ेगा और इससे भारत की छवि और निर्यात को भी नुकसान पहुंचने की भी संभावना है.
विश्वभर में सबसे ज़्यादा ग़ुलाम और दास भारत में हैं. अमेरिकी सरकार से फ़ंडेड आईएलओ 2017 की इस रिपोर्ट पर भारत की इंटेलीजेंस ब्यूरो ने कड़ा विरोध जताया है. इंटेलीजेंस ब्यूरो ने विरोध जताते हुए कहा है कि ये भारत को बदनाम करने की साज़िश है. ब्यूरो ने इसके लिए पीएमओ, नेशनल सिक्योरिटी एडवाइज़र, विदेश मंत्रालय और लेबर मिनिस्ट्री को भी एक गुप्त पत्र लिखा है.
इस रिपोर्ट के आंकड़े वाकयी भयावह हैं. इस स्थिति में भारत को आज़ाद देश कहना बेईमानी लगता है, क्योंकि देश तो आज़ाद हो गया है, लेकिन लोग अब भी ग़ुलाम हैं.