जिस समाज में हम जीते हैं, उसका गहरा असर हमारे ऊपर पड़ता है. खान-पान में, रहन-सहन के तरीकों में, बोल-चाल में भी समाज अपनी छाप छोड़ जाता है.
इस देश के बारे में कहावत है कि यहां कोस-कोस पर पानी बदलता है और चार कोस पर पानी, इस विविधता के बावजूद यहां सबके ऊपर भारतीयता की छाप देखने को मिलती है.
भारत के किसी कोने में आप चले जाएं, आप वहां अपने राज्य का खाना, बोली की कमी महसूस कर सकते हैं लेकिन भारतीयों के जी आदर्श होते हैं, वो आपको एक ही मिलेंगे.
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ऐसा देश है मेरा!
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