बच्चों की सफ़लता के क़िस्सों के बीच एक ऐसा क़िस्सा सुनने में आया है, जिसे सुनकर आप मुस्कुराएंगे भी और इंस्पायर्ड भी होंगे.
मेघालय के री भोई ज़िले की रहने वाली Syiemlieh ने The Indian Express से बात-चीत में कहा, ‘मैं शिक्षा का महत्व समझती हूं- शिक्षा के बिना हम कुछ भी नहीं हैं.’
मुझे थर्ड डिवीज़न मिली पर मैं बहुत ख़ुश हूं.
-Lakyntiew Syiemlieh
Syiemlieh अपने बेटे, बेटी और दो पोतियों के साथ रहती हैं.
मेरे बच्चे इतने ख़ुश थे, मुझे गले लगा रहे थे, प्यार कर रहे थे, रिज़ल्ट आने के बाद. ये मेरी ज़िन्दगी का सबसे ख़ुशनुमा दिन है.
-Lakyntiew Syiemlieh
गणित में कमज़ोर होने की वजह से 1989 में Syiemlieh ने स्कूल छोड़ दिया. वे अपनी 10वीं की परीक्षा पास नहीं कर पाई थीं.
उसके बाद ज़िन्दगी ने करवट बदल ली. 21 में मेरी शादी हो गई, 4 बच्चे हुए. दुख की बात है शादी टूट गई.
-Lakyntiew Syiemlieh
Syiemlieh ने अपने बच्चों को बड़ा किया. घर चलाने के लिए वे एक लोकल स्कूल में खासी पढ़ाती थीं.
मैंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ ओपन स्कूलिंग के इवनिंग क्लास में एनरोल करवाया. 2 साल बाद मैंने 10वीं पास कर ली. मुझे काम और पढ़ाई दोनों को बैलेंस करना पड़ता था.
-Lakyntiew Syiemlieh
12वीं की पढ़ाई के लिए Syiemlieh स्कूल अधिकारियों से स्पेशल परमिशन लिया ताकी वो Umsning स्थित, Balawan College में क्लास अटेंड कर सकें.
ये बहुत ज़रूरी था क्योंकि क्लास जाकर ही मैं 12वीं में अच्छा कर सकती थी.
-Lakyntiew Syiemlieh
Syiemlieh यूनिफ़ॉर्म पहनकर कॉलेज जाती और क्लास करती. उन्होंने, खासी, पॉलिटिकल साइंस, इकॉनॉमिक्स, एजुकेशन और इंग्लिश लिया था. Syiemlieh खासी में ही ग्रैजुएशन करना चाहती हैं. स्कूली बच्चे उन्हें ‘Mei’ कहकर बुलाते हैं, जिसका अर्थ खासी में मां होता है.