कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फ़ैसला लिया, LGBTQ+ को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का फ़ैसला.
समलैंगिक एक साथ रह सकते हैं या नहीं, अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कोई फ़ैसला नहीं सुनाया है.
मगर केरल हाईकोर्ट ने एक महिला को उसकी प्रेमिका के साथ रहने की आज्ञा दे दी. केरल हाईकोर्ट की एक बेंच ने कोलम की श्रीजा एस की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये फ़ैसला सुनाया. श्रीजा ने याचिका दर्ज की थी कि उसकी प्रेमिका को उसके माता-पिता ने नज़रबंद कर रखा है.

श्रीजा के अनुसार वो थीरुवनंथपुरम की 24 वर्षीय अरुणा के साथ ‘गहरे रिश्ते’ में है. वो दोनों साथ रहना चाहते हैं. अरुणा 13 अगस्त को अपनी मर्ज़ी से श्रीजा के साथ रहने आई थी.
याचिकाकर्ता श्रीजा का ये भी आरोप था कि अरुणा के पिता ने पुलिस में अपनी बेटी के गायब होने की रिपोर्ट लिखवाई थी.
अरुणा को Neyyattinaka Judicial First Class Magistrate के सामने पेश किया गया, जहां अरुणा को अपनी मर्ज़ी के हिसाब से जीने के लिए मुक्त कर दिया गया. अरुणा जब कोर्ट से बाहर आ रही थी तब उसके पिता ने कुछ लोगों की मदद से उसे बंदी बना लिया. अरुणा ने याचिकाकर्ता को मोबाईल फ़ोन पर संपर्क किया था.

श्रीजा को पता चला कि अरुणा को मानसिक अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. श्रीजा, अरुणा से मिलने गई जहां अरुणा ने उसके साथ जाने की इच्छा भी ज़ाहिर की लेकिन अस्पताल स्टाफ़ ने उसे नहीं छोड़़ा.
इसके बाद श्रीजा ने कोर्ट में याचिका दर्ज की. प्यार के आगे सभी हार जाते हैं. हम श्रीजा और अरुणा के लिए एक खु़शहाल ज़िन्दगी की कामना करते हैं.