नज़ीर बनारसी ने ताज की शान में ये लफ़्ज़ पिरोये थे. ताज की ख़ूबसूरती के कायल सिर्फ़ पीर-फ़कीर जैसे शायर ही नहीं हुए हैं. विदेशी भी हिन्दुस्तान आते हैं तो इस नायाब चीज़ के दर्शन ज़रूर करते हैं.
ताज महल बे-मिस्ल हसीनाइस में मिला कितनों का पसीनाजब कहीं चमका है ये नगीना,मेरा निवास स्थान यही हैप्यारा हिन्दोस्तान यही है
पिछले कुछ दिनों में जितनी वाद-विवाद ताज को लेकर हुई है, उतना कम ही देखने को मिलता है. प्रदेश सरकार इससे इतना ख़फ़ा हो गई कि टूरिज़म बुकलेट से ही इसे बर्ख़ास्त कर दिया और ये कहा कि उत्तर प्रदेश(जहां अकसर सारे उत्तर ख़त्म हो जाते हैं) में बहुत सी नायाब चीज़ें हैं. होंगी, शायद हमें ही दिखाई नहीं देती.

ताज के पीलेपन के बारे में हम सबने स्कूलों में पढ़ा ही होगा. लेकिन ये पीलेपन के बावजूद इतना ख़ूबसूरत दिखता है कि यहां सैलानियों का तांता लगा ही रहता है.
प्रदेश सरकार की नज़रअंदाज़ी पर मसला ख़त्म नहीं हुआ. नेता के बयान इस नज़रअंदाज़ी के ग़म को भूलने नहीं देते. एक कहते हैं कि यहां मंदिर था, तो एक ने कहा कि बाबरी जैसा कुछ इसके साथ भी हो सकता है.
इन सब के बीच सबसे अच्छी मिसाल केरल टूरिज़म ने पेश की है.
God’s Own Country salutes the #TajMahal for inspiring millions to discover India. #incredibleindia pic.twitter.com/TXqSXQ9AYQ
— Kerala Tourism (@KeralaTourism) October 18, 2017
दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताज की एहमियत पर ज़ोर डालते हुए केरल टूरिज़्म ने ट्वीट किया है.
शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई राज्य किसी अन्य राज्य के टूरिज़्म को प्रमोट कर रहा हो.
केरल टूरिज़्म की ये पहल सराहनीय है और वो भी ऐसे मौके पर, जब केरल सरकार को उत्तर प्रदेश सरकार के अस्पतालों की व्यवस्था से सीख लेने की हिदायत दी जा रही है.
बीजेपी नेता सुब्रमणियम स्वामी ने भी ये बयान दिया है कि ताज हड़पी हुई ज़मीन पर बनाया गया है. ताज और अन्य मुग़लकालीन इमारतों का भविष्य अंधकारमय ही नज़र आ रहा है.