‘विनेश फोगाट’ आज ये नाम पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. महज 23 साल की उम्र में पहलवान विनेश ने एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीत कर देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया. यही नहीं, विनेश लगातार दो एशियाड में पदक जीतने वाली पहली महिला पहलवान भी बन गई हैं. इस शानदार जीत के लिए विनेश फोगाट को हर कोई बधाई दे रहा है.

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जीत, ख़ुशियां और बंधाईयों का ढेर, क्या ये सब हासिल करना इस विनेश के लिए इतना आसान था, जितना हमें दिखाई दे रहा है. यहां तक पहुचंने के लिए विनेश को बहुत संघर्षों से गुज़रना पड़ा. वो सिर्फ़ 10 साल की थी, जब उसके पिता राजपाल की हत्या कर दी गई थी. इसके बाद मानों उनके घर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. ऐसे में विनेश के ताऊ महावीर फोगाट आगे आये और गुरु बन उसे पहलवानी में उतारने का जिम्मा उठाया.

ऐसे लिया हार का बदला:

2016 रियो ओलिंपिक में घायल होने के बाद वो काफ़ी समय तक बेड पर रही और उनके भविष्य को लेकर सवाल खड़े किये जाने लगे. ये चोट उन्हें चीन के पहलवान सुन यानान के कारण लगी थी. तमाम शारीरिक और मानसिक परेशानियां झेलने के बाद भी विनेश की हिम्मत नहीं डगमगाई, उसने इस बार शुरुआती मुकाबले में ही यानान को मात दी और बाज़ी अपने हाथ कर ली. विनेश ने एशियन गेम्स में पहले मुकाबले में सुन यानान को (8-2) से हरा जीत हासिल की. गिर कर वापस उठने वाली विनेश को मानों इस बार हारना मंज़ूर ही नहीं था और उसने क्वॉर्टरफ़ाइनल में साउथ कोरिया की किम ह्युंगजू को हरा डाला.

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जीत का ये सिलसिला कुछ यूं चला कि सेमीफ़ाइनल में हमारी छोरी ने उज्बेकिस्तान की याक्षिमुरतोवा को धूल चटाई. इसके बाद फ़ाइनल में जापान की युकी इरी को 6-2 से हरा, जीत का नया इतिहास रच दिया.

पिछली बार विनेश तकनीकि रूप से गेम को समझ नहीं पाई थी इसीलिए वो गेम हार गई, लेकिन इस बार वो पूरी तैयारी के साथ मैदान पर उतरी थी और यही उनकी ताकत था. बेटी की इस दमदार उपलब्धि के बाद विनेश की मां प्रेमलता की आंखें आंसूओं से भर गईं. पर ये इस बार ये आंसू ग़म नहीं, बल्कि ख़ुशी के थे.

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विनेश ने बीते सोमवार 50 किलोग्राम वर्ग के फ़ाइनल मुकाबले में जापानी प्रतिद्वंदी यूकी इरीए को हराकर स्वर्ण पदक हासिल किया. इस जीत के साथ वो ट्विटर पर ट्रेंड भी कर रही थी. विनेश दंगल फ़िल्म से मशहूर हुई गीता और बबीता फोगाट की चचेरी बहन हैं.

हमें तुम पर गर्व है विनेश… यूं ही आगे बढ़ कर देश का नाम रौशन करती रहो!