या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्त्स्यै नमस्त्स्यै नमो नम:।
दुर्गा पूजा, ये दो शब्द ही किसी भी बंगाली के दिलो-दिमाग़ में घर की याद दिलाने के लिए काफ़ी हैं और दुर्गा पूजा यानि कि कोलकाता.
महालया के साथ ही शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो गई. महालया के दिन पितृपक्ष की समाप्ति और देवीपक्ष की शुरुआत हो जाती है. दुर्गा पूजा सिर्फ़ एक पूजा नहीं है ये अपने आप में ही एक संस्कृति है. शास्त्रों के अनुसार, महालया के दिन ही देवताओं ने देवी दुर्गा से महिषासुर का अंत करने की प्रार्थना की थी. ये एक तरह का निमंत्रण है मां के लिए, कि वो कैलाश से अपनी संतानों को लेकर धरती पर आएं और बुरी शक्तियों से हमारी रक्षा करें.

ऐसा भी कहा जाता है कि धरती पर आगमन के लिए, मां दुर्गा महालया के दिन ही कैलाश से प्रस्थान करती हैं.
बंगालियों के लिए महालया का मतलब है, सुबह-सुबह उठना और बीरेंद्र कृष्णा भाद्र की आवाज़ में मंत्रों को सुनना. पहले ये रेडियो पर सुना जाता था और अब तो ऑनलाइन कहीं भी मिल जाता है. उनकी आवाज़ से ही एक अलग तरह की भावनाएं उमड़ती हैं, जिसे शब्दों में लिखना मुश्किल है.
कोलकाता में महालया और दुर्गा पूजा के लिए बहुत बड़ी रंगोली (आलपोना) बनाई गयी. तस्वीरें किसी भी बंगाली को घर की याद दिलाने के लिए काफ़ी हैं.





वीडियो देखकर वहां जाने का मन करेगा-
आप सभी को इस त्यौहार की शुभकामनाएं.