Ganauri Paswan is Known as Majhi 2.0: बिहार के दशरथ मांझी (Dashrath Manjhi) का नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा. ये वही शख़्स थे जिन्होंने अकेले ही 110 मीटर ऊंचे पहाड़ को काटकर अपने गांव के लिए सड़क का निर्माण किया था. हैरानी की बात ये थी कि उन्होंने ये पहाड़ सिर्फ़ छेनी और हथोड़े के दम पर काट दिया था. साल 2015 में दशरथ मांझी की ज़िंदगी पर Manjhi- The Mountain Man नाम की बॉलीवुड फ़िल्म भी बन चुकी है. इसमें नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने लीड रोल निभाया था. लेकिन आज हम बात बिहार के ही गनौरी पासवान की करने जा रहे हैं, जिन्हें ‘मांझी 2.0’ के नाम से भी जाना जाता है.
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जानिए कौन हैं गनौरी पासवान?
दशरथ मांझी की तरह ही बिहार के जहानाबाद ज़िले में स्थित वनवरिया गांव के रहने वाले गनौरी पासवान (Ganauri Paswan) भी आज अपने एक अजब-ग़ज़ब कारनामे की वजह से चर्चा का विषय बने हुए हैं. वनवरिया टोला के बैजू बिगहा निवासी 68 वर्षीय दिव्यांग गनौरी की मेहनत और हौसले ने सैकड़ों श्रद्धालुओं को योगेश्वर नाथ के मंदिर तक जाने का रास्ता मुहैया करा दिया है.
दरअसल, बिहार के जहानाबाद ज़िले के वनवरिया पहाड़ी की चोटी पर योगेश्वर नाथ जी का मंदिर है, लेकिन खड़ी चढ़ाई और ख़राब रास्ता होने की वजह से अधिकांश श्रद्धालु वहां चाह कर भी नहीं पहुंच पाते थे. इस दौरान बच्चों, बुज़ुर्गों और दिव्यांगों के लिए यात्रा बेहद कठिन होती थी. बस इसी बात से परेशान गनौरी ने क़रीब 1500 फ़ीट ऊंचे इस पहाड़ का सीना चीरकर सुगम रास्ता व सीढ़ियां बनाने का प्रण ले लिया और चापाकल मिस्त्री का काम छोड़कर इस काम में जुट गये.
गनौरी पासवान ने लॉकडाउन से पहले जब पहाड़ का सीना चीरकर मंदिर तक बनाए रास्ते पर सीढ़ियां बनाने का फ़ैसला किया तो गांव के लोगों को इस पर भरोसा ही नहीं हुआ. इस दौरान गनौरी साथ उनकी पत्नी तेतरी देवी ने दिया. सीढ़ी निर्माण को लेकर पत्नी ने अपने जेवर तक गिरवी रख दिए थे. शुरुआती दिनों को याद करते हुए गनौरी पासवान बताते हैं कि कई बार तो लगता था कि सीढ़ियों का काम नहीं हो पाएगा. लेकिन पत्नी तेतरी देवी बच्चों की वजह से उन्होंने ये कर दिखाया.
बग़ैर सरकारी मदद के बनाई सीढ़ी
आख़िरकार 8 सालों की कड़ी मेहनत के बाद साल 2018 के अंत तक गनौरी पासवान ने पहाड़ का सीना चीरकर मंदिर तक 6 फ़ीट चौड़ा रास्ता बना दिया. लेकिन, रास्ता बनाने के बावजूद उस पर आवागमन सुरक्षित नहीं था. इसलिए उन्होंने रास्ते पर सीढ़ियां बनाने का फ़ैसला किया. इस दौरान उन्होंने बगैर किसी सरकारी मदद सीढ़ियां बनाने का काम शुरू किया और आज 800 फ़ीट तक 400 सीढ़ियां बनकर तैयार हो चुकी हैं. गनौरी को इस साहसिक काम के लिए सरकार से कोई मदद नहीं मिली.
स्थानीय निवासी कौशलेन्द्र शर्मा कहते हैं कि, गनौरी पासवान के कुछ परिचित और मंदिर में आने वाले श्रद्धालु कभी कभार थोड़ा-बहुत सहयोग किया कर देते हैं, लेकिन वो सहयोग नाम मात्र ही होता है. योगेश्वर नाथ के मंदिर तक सीढ़ी के निर्माण का पूरा श्रेय गनौरी पासवान की मेहनत और उसके लगन को जाता है. गनौरी पासवान और उनकी पत्नी तेतरी देवी का अरमान है कि बाबा योगेश्वर नाथ का मंदिर पर्यटन स्थल के रूप विकसित हो.
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