‘लड़कियों को अकेले बाहर नहीं जाना चाहिए.’
‘रात की नौकरी तो कभी नहीं करनी चाहिए.’
‘और अंतिम संस्कार में… पागल हो क्या? वहां से कोसों दूर रहना चाहिए.’
आज भी कई घरों में लड़कियों और महिलाओं को ऐसी बातें कही जाती हैं. स्त्रियों पर कई तरह के अंकुश लगाए गए हैं, लेकिन समय-समय पर कई सशक्त महिलाओं ने समाज द्वारा बनाए नियमों को चुनौती दी है.
मिलिए जयलक्ष्मी से.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/08/5b62e7c5f89ec12c5a1d2abb_e8106b7c-c5b1-4da0-b3ab-95d51ed8971b.jpg)
बीबीसी के एक वीडियो में ये बताया गया कि जयलक्ष्मी अंतिम संस्कार करने का काम करती है.
अटपटा लगा न सुनकर? एक महिला चिता तैयार करने, चिता के बुझ जाने के बाद वहां की सफ़ाई का काम कैसे कर सकती है?
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/08/5b62e7c5f89ec12c5a1d2abb_9d67f360-f9e6-4c37-95b7-ad5e1cdf96a8.jpg)
इन भ्रान्तियों को तोड़ा है जयलक्ष्मी ने. जयलक्ष्मी ने अब तक 4000 शवों का अंतिम संस्कार कराया है.
आंध्र प्रदेश के अनाकापल्ले के शवदाह गृह में जयलक्ष्मी शवों का अंतिम संस्कार करवाती हैं. 2002 में उनके पति की मृत्यु हो गई और तब जयलक्ष्मी ने अपने पति का काम संभाला.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/08/5b62e7c5f89ec12c5a1d2abb_b73ef9a5-002f-473b-a134-d45c144ab78a.jpg)
जयलक्ष्मी के शब्दों में,
मुझे बच्चों के कारण ये काम करना पड़ा. शुरुआत में लोगों ने मुझे ये कहा कि महिला होकर ये काम मत करो. तब मैंने उन्हें जवाब दिया कि मेरा काम देखो अगर मैं वो सही से न करूं, तब कहना.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/08/5b62e7c5f89ec12c5a1d2abb_61146515-000e-48db-9614-bf22b67c8bd0.jpg)
शवों का दाह संस्कार करवाना आसान नहीं है. बीबीसी से की बातचीत में जयलक्ष्मी ने बताया कि उनके पोते की मौत के बाद जब भी वे किसी बच्चे का शव देखती हैं, तो उनकी आंखें भर आती हैं. आंसुओं को रोककर अपने काम में लग जाती हैं.
हमने कई बार ऐसी बेटियों और पत्नियों की कहानी सुनी है, जिन्होंने अपने पिता और पति की चिता को अग्नि दी है. जयलक्ष्मी की कहानी अलग है, प्रेरणादायक है.