Patrakar Poha Wala: इंसान के सामने जब मुसीबतें खड़ी हो जाती हैं तो उसे कोई भी काम छोटा-बड़ा नज़र नहीं आता. फिर चाहे वो कितना ही पैसे वाला क्यों न रहा हो! कहते हैं कि मजबूरी इंसान को मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है. जो लोग मुसीबतों से लड़ना नहीं जानते वो हार जाते हैं और जो मुसीबतों का डट कर सामना करते हैं वो इस जंग में जीत हासिल करते हैं. ऐसी ही एक जंग पेशे से पत्रकार रहे ददन विश्वकर्मा (Dadan Vishwakarma) भी लड़ रहे हैं. पत्रकार पोहा वाला की ये कहानी प्रेरित करती है.

चलिए जानते हैं आख़िर कौन हैं ‘पत्रकार पोहा वाले’ ददन विश्वकर्मा?

मूल रूप से मध्यप्रदेश के सरहने वाले ददन विश्वकर्मा (Dadan Vishwakarma) इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन (IIMC) के साल 2010-11 बैच के छात्र रहे हैं. कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट ददन ने Tech फ़ील्ड में जाने के बजाय पत्रकार बनने का फ़ैसला किया. पत्रकारिता के अपने इसी जूनून को पूरा करने के लिए उन्होंने साल 2008 में पहले माखनलाल यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़म किया. इसके बाद साल 2010 IIMC में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में दाख़िला ले लिया.

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दैनिक भास्कर, नव भारत टाइम्स, आज तक और ज़ी न्यूज़ जैसे देश के कई बड़े मीडिया संस्थानों में नौकरी करने के बावजूद ददन विश्वकर्मा (Dadan Vishwakarma) को आज रोजगार के तौर पर पोहा बेचना पड़ रहा है. मीडिया क्षेत्र में क़रीब 12 साल काम के बाद परिस्थितियाँ कुछ इस तरह बनीं कि ददन ने पोहा बेचने का फ़ैसला किया है.

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पत्रकार पोहा वालाददन विश्वकर्मा

दरअसल, दिसंबर 2022 में Zee News में हुई छंटनी के दौरान नौकरी गंवाने वाले ददन विश्वकर्मा को जब 3 महीने तक कहीं नौकरी नहीं मिली तो उन्हें मजबूरन पोहा का ठेला लगाना पड़ा. ददन ने नोएडा फ़िल्म सिटी में AajTak की बिल्डिंग के ठीक सामने ‘पोहे का ठेला’ खोल रखा है. अगर आप भी नोएडा सेक्टर 16 में स्थित Film City गये हों तो आपने AajTak के ऑफ़िस के ठीक सामने एक छोटा सा ‘पोहा का ठेला’ देखा होगा.

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ये देश के सबसे बड़े मीडिया संस्थान AajTak का वही ऑफ़िस है जिसके AC रूम में बैठकर कभी ददन विश्वकर्मा लोगों को देश दुनिया की ख़बरों से रूबरू कराते थे. लेकिन आज उन्हें उसी ऑफ़िस के बाहर खुले आसमान के नीचे ठंड, गर्मी और बरसात में काम करना पड़ रहा है. जब उनके लिए नौकरी के सारे दरवाज़े बंद हो गये तो उन्हें मजबूरन ‘पोहा का ठेला’ खोलना पड़ा. अब इसे स्टार्टअप कहें या मज़बूरी, लेकिन ददन को ये काम चॉइस से नहीं, बल्कि मजबूरी में करना पड़ रहा है.

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‘एडिटर स्पेशल पोहा और ‘रिपोर्टर स्पेशल पोहा’

‘इंदौरी सेंव के साथ चक भन्नाट स्वाद’ कैप्शन वाला ये ठेला ददन विश्वकर्मा का ही है. ये ठेला मशहूर आज सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हो रहा है. ददन के इस ठेले पर पत्रकारों के लिए 2 ख़ास तरह के पोहे सर्व किए जाते हैं. इनमें मीडिया संस्थानों के न्यूज़ एडिटर्स के लिए ‘एडिटर स्पेशल पोहा’ और रिपोर्टर्स के लिए ‘रिपोर्टर स्पेशल पोहा’ शामिल हैं. ‘एडिटर स्पेशल पोहा’ की क़ीमत 80 रुपया, जबकि ‘रिपोर्टर स्पेशल पोहा’ की क़ीमत 60 रुपया है.

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न्यूज़ लॉन्ड्री से बातचीत में ददन विश्वकर्मा ने कहा कि, नौकरी जाने के बाद मैंने 3 महीनों तक कई सस्थानों में नौकरी के लिए ट्राय किया, सबसे नौकरी मांगी. लेकिन नौकरी कहीं मिली नहीं. दद्दन ने नौकरी जाने की अहम वजह ऑफ़िस की P (Politics) को बताया.

पत्रकार होने के बावजूद पोहा का ठेला ही क्यों? इस सवाल के में ददन विश्वकर्मा ने कहा कि, पत्रकार ठेला नहीं लगा रहा है ये मजबूरियों और परिस्तिथियों में जकड़ा इंसान ठेला लगा रहा है.

ददन विश्वकर्मा (Dadan Vishwakarma) की ख़ासियत ये है कि वो ट्विटर पर ‘ब्लू टिक’ धारी पत्रकार हैं. उनका एक YouTube चैनल भी है. इसके अलावा ददन फ़्री-लांस जर्नलिज़्म भी कर रहे हैं.