बचपन में अंग्रेज़ी की एक कविता पढ़ी थी, S.T.Coleridge की ‘Rime of The Ancient Mariner’. कविता एक समुद्री नाविक पर है, उसकी एक पंक्ति बेहद पसंद है:

‘Water Water Everywhere Not A Drop To Drink’

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लोगों के पास नहीं पीने का साफ़ पानी

नाविक समुद्र के बीचों-बीच ये सोचता है लेकिन हम समुद्र में न होते हुए भी रोज़ यही महसूस करते हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 76 मिलियन लोगों को पीने के लिए साफ़ पानी नहीं मिलता.

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दिन-दौगुनी, रात चौगुनी बढ़ रही है पानी की समस्या

विकसित होने की रेस में देश इतनी तेज़ी दौड़ने लगा है कि प्राकृतिक संसाधनों ख़त्म होते जा रहे हैं. एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 तक बेंगलुरू और दिल्ली जैसे महानगरों में ग्राउंड वॉटर ख़त्म हो जाएगा.

कुछ दिनों पहले शिमला (अति मशहूर टूरिस्ट स्पॉट) में पानी ख़त्म हो गया था. लोगों के पास वहां पीने का पानी तक नहीं था.

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पानी की समस्या से निपटने के लिए हमार किताबों तक में पानी की बचत से जुड़ी कविताएं और चैप्टर जोड़े गए, लेकिन समस्या बद से बद्तर होती जा रही है.

बेंगलुरू में पानी की समस्या

बेंगलुरू Silicon Valley तो बन गया, विदेशों में नाम भी रौशन किया लेकिन यहां की दो झीलों में उमड़ता ज़हर इस बात का सुबूत है कि इस शहर के प्राकृतिक संसाधनों के साथ असल में लोगों ने क्या किया. यहां तो कई अपार्टमें ऐसे हैं, जो टैंकर के भरोसे पर ही गुज़र-बसर करते हैं.

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इन सबके बीच एक शख़्स ऐसे भी हैं, जिन्होंने पिछले 23 सालों से पानी का बिल नहीं भरा है.

कौन हैं वैज्ञानिक ए.आर.शिवकुमार?

शिवकुमार और उनकी पत्नी सुमा टैंकर तो दूर की बात, सरकारी मीटर, सरकारी पाइप के बिना ही रहते हैं, वो भी पिछले 23 सालों से.

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शिवकुमार Rain Water Harvesting (वर्षा जल संचयन) की मदद से गुज़र-बसर करते हैं. नतीजा ये, 23 सालों से कोई पानी का बिल नहीं.

बारिश की बूंदों का संचयन करने वाले शिवकुमार कहते हैं,

मुझे सप्लाई के पानी की ज़रूरत नहीं. मैं बारिश के पानी का संचयन कर लेता हूं और इससे मेरे सालभर का काम चल जाता है.

Indian Institute of Science के Karnataka State Council of Science & Technology में वैज्ञानिक हैं शिवकुमार. उन्होंने ऐसे Tools भी बनाए हैं जिनसे बारिश के पानी को आसानी से संचयन किया जा सकता है. शिवकुमार बेंगलुरू की जनता के बीच भी वर्षा जल संचयन को मशहूर बनाना चाहते हैं.

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घर बनाने से पहले किया था काफ़ी रिसर्च

The Better India के अनुसार, 1995 में अपना घर बनाने से पहले शिवकुमार ने काफ़ी शोध किया था. सबसे पहले उन्होंने अपनी पूरी Locality के पानी के बिल पर रिसर्च किया. इसके बाद 4 लोगों के परिवार के पानी के इस्तेमाल पर शोध किया, जिसमें उन्होंने पाया कि आमतौर पर 4 लोगों का परिवार 500 लिटर पानी इस्तेमाल करता है. इसके बाद उन्होंने पिछले 100 सालों के बारिश के डेटा पर शोध किया.

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इन सब में सबसे बड़ा चैलेंज था, 60-70 दिन के पानी को 365 दिन तक चलाना.

सारी समस्या को निपटने के लिए शिवकुमार ने Pop-Up Filter नामक एक यंत्र बनाया.

ये यंत्र Silver Sheet का इस्तेमाल करता है और बारिश के पानी में मौजूद गंदगी को हटाता है.

इस यंत्र का इस्तेमाल अगर देशभर में हो तो पानी की समस्या ख़त्म हो सकती है.