कहते हैं कि आग, पानी और हवा जब अपना विध्वंशक रूप दिखाते हैं, तो सब कुछ तबाह करने का माद्दा रखते हैं. देखा जाए तो आग पर काबू पाना बहुत ही मुश्किल काम होता है. शायद तभी नगरपालिका की जॉब में सबसे कठिन जॉब होती है अग्निशमन यानी कि आग पर काबू पाना. क्योंकि इसके लिए शारीरिक और मानसिक शक्ति की आवश्यकता होती है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि हर आग की चपेट में आने से ना जाने कितने ही लोगों की मौत हो जाती है. और अग्निशामक दल ले किये ये हर दिन जीवन और मृत्यु का सवाल होता है.

वैसे तो अग्निशामक दल में अधिकतर पुरुषों की ही भर्ती की जाती है, महिलायें तो नाम मात्र ही होती हैं. शायद इसीलिए मुंबई के फ़ायरफ़ाइटिंग विंग, जिसका मुख्यालय बायकुला में स्थित है, में आज की तारीख में केवल 3 महिला असिस्टेंट स्टेशन ऑफ़िसर्स (ASOs) ही हैं.

हालांकि Livemint के अनुसार, इस साल दिसंबर महीने तक 34 फ़ायर स्टेशंस में महिला अग्निशामकों की संख्या 3000 तक पहुंचने की संभावना है. इसके लिए महिला कर्मियों की नियुक्ति को लेकर उनके ज़रूरी और महत्वपूर्ण होने का विश्लेषण किया जा रहा है. संकट के समय महिलाएं महिला अधिकारियों के साथ अधिक सहज महसूस करती हैं. और इसी के चलते बायकुला महिला कैडेट्स का स्वागत करने के लिए पूरी तरह से तैयार है, ये महाराष्ट्र की अभी तक की पहली जेंडर-इंटीग्रेटेड फ़ायर ब्रिगेड होगी.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि फ़ायर फ़ाइटर बनने के लिए दी जाने वाली ट्रेनिंग बहुत ही कठिन होगी, और कैंडिडेट को कुछ आवश्यक चरणों को पूरा करना ज़रूरी होगा. इसमें चयनित होने के लिए उम्मीदवार की न्यूनतम आयु 20 और अधिक्तम से 25 वर्ष के बीच होनी चाहिए. लम्बाई कम से कम 162 सेमी और वज़न 50 किलो या उससे अधिक होना चाहिए.

इसके अलावा कैडेट्स को कठिन से कठिन परिस्थिति से बचने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाएगा, भगदड़ की स्थिति हो या आतंक की, या फिर धुंए के कारण घुटन हो, हर स्थिति में उनको संयम के साथ आम लोगों की जान बचानी होगी. बतौर अधिकारी उम्मीदवारों के पास रसायन शास्त्र में प्रथम श्रेणी की स्नातक की डिग्री भी होनी चाहिए.

महिला कैडेट्स की ट्रेनिंग को पुरुष कैडेट्स की ट्रेनिंग की तरह ही तैयार किया गया है, हालांकि ट्रेनिंग में लिंगभेद को संवेदनशील रूप से इसमें समायोजित किया गया है. शुरुआत में महिला कैडेट्स को माहवारी समस्याओं के चलते पुरुष कैडेट्स के साथ ट्रेनिंग के दौरान तालमेल बैठाने में दिक्कतें आ रही थीं. साथ ही इनके लिए ये एनवायरनमेंट एकदम नया था, और इस माहौल में वो पहले कभी नहीं रहीं थीं, इसलिए उनको इसे अपनाने में टाइम लग रहा था.

हालांकि, अब पुरुष और महिलाओं को एक ही ग्रुप्स या साथ-साथ अभ्यास कराया जा रहा है. फ़ायर स्टेशंस को महिलाओं के अनुकूल बनाने के साथ ही वहां के टॉयलेट और चेंजिंग रूम्स की सुविधा को भी महिलाओं के हिसाब से तैयार किया जा रहा है.

Livemint के अनुसार, 

चीफ़ फ़ायर ऑफ़िसर, रहांदले ने बताया कि अभी सभी महिला स्टेशन का निर्माण नहीं किया जा रहा है. लेकिन आपको एक टीम में पुरुषों और महिलाओं दोनों की ज़रूरत है.’

अगस्त महीने के अंत में प्रशिक्षण के अंतर्गत महिला कैडेट्स ने भिंडी बाज़ार में स्थित मेमनवाड़ा एक्सीडेंट के दौरान मदद की, जब भारी बारिश के कारण 117 साल पुरानी इमारत गिर गई और जिसमें 33 लोगों की मौत हो गई थी. उन्होंने अपने कार्यों को बहादुरी से पूरा किया था और लोग उनको गर्व से देख रहे थे.

लेकिन एक बात ये भी है कि असंतुलित लिंग अनुपात के कारण वहां संस्थागत पक्षपात और कार्यस्थल पर उत्पीड़न के जोखिम भी हैं. हालांकि, पुरुष और महिला अधिकारी दोनों ही यहां एक शांतिपूर्ण और सहकारी काम के माहौल की उम्मीद कर रहे हैं.

किसी ने सच ही कहा है कि महिलायें जब असहनीय पीड़ा को सह कर एक बच्चे को इस दुनिया में ला सकती हैं, तो महिलाओं के लिए कोई भी वो काम नामुमकिन नहीं है, जो पुरुष कर सकते हैं. जो लोग महिलाओं को कम और कमज़ोर समझते हैं उसके लिए सिर्फ़ एक बात ये है कि महिलायें हर स्थिति में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलकर चलना जानती हैं, फिर चाहे वो अंतरिक्ष में जाना हो, फ़ाइटर प्लेन उड़ाना हो, या फिर फ़ायर फ़ाइटर बनकर लोगों की जान बचाना हो.

All Images Source: Livemint