ग़रीबी, अंधेरा, बीमारियों का डर और हर रोज़ का मरना ही है नाइजीरिया की सेक्स वर्कर्स की ज़िन्दगी. ये उन बस्तियों में रहती हैं, जिनमें बचपन ख़त्म होने से पहले ही रौंद दिया जाता है. 14 साल की बच्चियों को अधेड़ों के बिस्तर में छोड़ दिया जाता है.
भारत और साउथ अफ्रीका के बाद सबसे ज़्यादा HIV/AIDS के मरीज़ नाइजीरिया में ही पाए जाते हैं. सेक्स वर्कर्स की एक चौथाई संख्या इस बीमारी से पीड़ित है. Lagos स्लम में ये तस्वीरें ली हैं फ़ोटोजर्नलिस्ट Ton Koene ने. इनमें आप साफ़ देख सकते हैं कि मर-मर के जीता हुआ इन्सान कैसा दिखता है. यहां वैश्यावृति बैन है, पर फिर भी ये बस्तियां अंधेरे में पनप रही हैं.
1. इस बस्ती की ‘मैली-कुचली’ औरतों के पास साफ़-सुथरे लोग आते हैं.
2. ये आंखें जितनी खूबसूरत हैं, उतनी ही खाली भी.
3. हर जगह पनपता है जीवन.
4. वेश्या चाहे किसी विकसित देश में हो, या किसी पिछड़े देश में, उनका जीवन एक सा होता है.
5. इंतज़ार उसके आने का, जो एक बार फिर उसकी आत्मा रौंदेगा.
6. ये मां तो होती हैं, पर पत्नियां नहीं.
7. अपने भीतर की औरत को मारकर वो पुरुष के मनोरंजन का साधन बन जाती है, कभी मजबूरन तो कभी जबरन.
8. इनके ग्राहक हर उम्र के होते हैं. कोई पिता की उम्र का, तो कोई दादा की उम्र का, पर इनके लिए तो उन्हें खुश करना ही कर्म है.
9. रोज़ मरती हैं ज़िन्दा रहने के लिए.10. इनके चेहरे पर इतना मेक-अप होता है, क्योंकि इन्हें उसके नीचे अपनी ज़िन्दगी का दर्द छुपाना होता है.