भारत जो कि एक विविधताओं से भरी सरज़मीं रही है, जिसने विदेशी आक्रांताओं और विद्वानों तक को ख़ुद में समाहित कर लिया है. किसी से कुछ सीख लिया है तो किसी को कुछ सिखा दिया है. तो हमारे देश की कला और वास्तु को समृद्ध बनाने में विदेशी आक्रांताओं का भी ख़ासा योगदान रहा है.
हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों में कहीं ख़ूब बारिश होती है तो कहीं बिल्कुल ही नहीं होती. मगर मानव कब हारा है. जब कभी भी उस पर प्रकृति ने प्रहार किया है, वह और मजबूत होकर उभरा है. कहीं उसने धारा का मुख मोड़ दिया है तो कहीं पाताल खोद कर जल ले आया है. यहां आप पुराने जमाने की बावलियों और कुंओं को देख सकते हैं और तब के मानव की वास्तुकला और सृजन को समझ सकते हैं.
यहां हमारे देश के नागरिकों द्वारा ख़ुद को प्रकृति के अनुरूप ढाल लेने को कैमरे में कैद किया है सिकागो के मशहूर पत्रकार विक्टोरिया लौटमैन ने और यह उनकी पहली भारत यात्रा थी. उन्हें इस सारे इतिहास के दस्तावेज़ीकरण में चार साल लग गए, मगर हमारी नज़र में यह चार साल उनके लिए अद्भुत और बहुत कुछ सिखलाने वाले होंगे. आख़िर भारत को यू हीं अतुल्य भारत थोड़े न कहा जाता है.
1. मंदिर जो धर्म के प्रचार-प्रसार और जल का साधन थे…
2. सीढ़ियों से उतर कर जल के पास तक पहुंचना…
3. आज पानी भले ही रंगीन हो गया हो, मगर कभी यह बेहद साफ़ हुआ करता था…
4. आज मैंं ऊपर बावली नीचे…
5. कहां जाने की सोचने लगे लल्ला???
6. I hate it, like I love it…
7. कहो क्या कहना है???
8. ये तो PK का घर है, है कि नहीं???
9. क्या से क्या हो गए हम???
10. बावली जिस पर गुंबद भी लगे हैं…
तो भैयैा ये तो हमारे पूरखे बना गए हैं, अह ये हमारी और हमारे सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वे कैसे इस धरोहर को बचा कर रखते हैं. तो भैया बचा लीजिए अपनी विरासत और धरोहर को…