आपने महिलाओं को ऑटोरिक्शा, कैब, बस आदि चलाते हुए देखा-सुना होगा. इन महिलाओं को आपने जज किया होगा या फिर हो सकता इनके लिए मन में सम्मान जाग उठा होगा.
ऐसी ही एक महिला हैं 35 वर्षीय अंकिता शाह. अंकिता अहमदाबाद में ऑटोरिक्शा चलाती हैं. और ये अहमदाबाद की पहली दिव्यांग रिक्शावाली हैं. एक कॉल सेंटर में अपनी आराम की नौकरी को छोड़कर पिछले तीन महीने से अंकिता ऑटोरिक्शा चला रही हैं. कैंसर पीड़ित पिता के लिए अंकिता ने ये निर्णय लिया.
12 घंटे की शिफ़्ट में मुझे मुश्किल से 12000 मिलते थे. जब पता चला कि पिताजी को कैंसर है तब मुझे बार-बार अहमदाबाद से सूरत जाना पड़ता और छुट्टियों लेने में दिक्कत होती. पैसे भी ज़्यादा नहीं मिलते थे. इसलिए मैंने नौकरी छोड़ने का फ़ैसला किया.
-अंकिता शाह
कई कंपनियों में इंटरव्यू देने के बावजूद अंकिता को नौकरी नहीं मिल रही थी, कंपनी वालों के लिए उनका दिव्यांग होना परेशानी बन रहा था.
वो आसान दौर नहीं था. हमारा गुज़ारा चलाना मुश्किल हो रहा था और मुझे पिताजी के इलाज में मदद न कर पाने का मलाल भी हो रहा था. इसलिए मैंने अपने दम पर कुछ करने की ठानी.
-अंकिता शाह
ऑटोरिक्शा चलाने का निर्णय न अंकिता के लिए आसान था और न उनके परिवार के लिए. अपनी आर्थिक हालत सुधारने पर अड़ी अंकिता ने काम और निजी जीवन में बैलेंस बनाने के लिए ये कठिन निर्णय लिया.
मैंने ऑटोरिक्शा चलाना अपने दोस्त- लालजी बारोट से सीखा, वो भी दिव्यांग है और ऑटोरिक्शा चलाता है. उसने न सिर्फ़ मुझे ऑटो चलाना सिखाया बल्कि मुझे अपना कस्टमाइज़्द ऑटो लेने में भी मदद की, इसमें एक हैंड-ओपरेटेड ब्रेक है.
-अंकिता शाह
अंकिता 8 घंटे ऑटो चलाकर 20 हज़ार महीने तक कमा लेती हैं. अंकिता भविष्य में अपना टैक्सी बिज़नेस शुरू करना चाहती हैं.