ताजमहल की खूबसूरती को किसी परिचय की ज़रूरत नहीं. दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल को देखने दुनिया भर से पर्यटक पहुंचते हैं. लेकिन पिछले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद से ताजमहल पर कई विवादास्पद बयानों की बौछार हुई है. केंद्र और राज्य में बीजेपी सरकार आने के बाद से प्रशासन का एक धड़ा इसे ताजमहल नहीं, बल्कि ‘तेजो महालय’ नाम से पुकारने लगा है.

यूपी सरकार ने सितंबर में ताजमहल को यूपी टूरिज़्म बुकलेट से भी हटवा दिया था, वहीं बीजेपी लीडर विनय कटियार ने ताजमहल को ‘तेजो महालय’ बताकर एक नए विवाद को जन्म दिया है. लेकिन ये तेजो महालय का कॉन्सेप्ट आखिर आया कहां से है?

तेजो महालय को सबसे पहले 60 और 70 के दशक में मराठी मैगज़ीन्स में इस्तेमाल किया गया था. पीएम ओएक नाम के एक विवादास्पद मराठी लेखक ने इस टर्म को सबसे पहले इस्तेमाल किया था. अपने एक आर्टिकल में ओएक ने ताजमहल को भगवान शिव की श्राइन यानि तेजो महालय बताया था. ओएक ने किताब में कहा था कि अगर ताज महल की खुदाई की जाए, तो इसमें से प्राचीन मंदिर के अवशेष को देखा जा सकता है. लेकिन ज़्यादातर लोगों ने ओएक की बातों को गंभीरता से नहीं लिया.

चूंकि 1960 और 70 के दशक में हिंदू धर्म के ठेकेदार नहीं घूमते थे और परिस्थितियां आज के समय के हिसाब से बेहद भिन्न थी, शायद यही कारण था कि किसी ने भी ओएक की बातों पर खास ध्यान नहीं दिया लेकिन ओएक ने फिर भी लिखना जारी रखा. ओक ने अपनी लेखनी से कई प्रोपैगेंडा और थ्योरीज़ को किताब की शक्ल दी.

ताजमहल अकेला ऐसा ऐतिहासिक स्मारक नहीं है जिस पर ओक ने सवाल उठाए. उन्होंने सउदी अरब में स्थित काबा को भी हिंदू मंदिर घोषित कर दिया था. इसके अलावा उन्होंने आगरा किले को भी एक हिंदू स्मारक बताया था. ओक का ये भी दावा था कि ईसाई धर्म दरअसल एक वैदिक धर्म है और उन्होंने दावा किया था ईसाई धर्म यानि क्रिश्चियनिटी का वास्तविक नाम ‘कृष्ण नीति’ था. ओक का ये भी मानना है कि इस्लाम दरअसल ‘ईशालयम’ शब्द से बना है जिसका मतलब होता है भगवान का घर. वो मानते हैं कि भारत और वैटिकन सिटी की सभी ऐतिहासिक इमारतें के अस्तित्व के पीछे हिंदू मान्यता का आधार है. 

इस शख़्स ने ये भी दावा किया वैटिकन का वास्तविक नाम ‘वाटिका’ था और पोप का पद दरअसल एक वेदिक पुरोहित पद था, लेकिन 312 AD में Constantine ने इस व्यवस्था को ख़त्म कर डाला था. इस्लाम और ईसाई धर्म की कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक घटनाओं को हिंदू धर्म से जोड़ने वाले इस विवादास्पद लेखक ने अब तक नौ किताबें इंग्लिश में, 13 किताबें मराठी में और 8 किताबें हिंदी में लिखी हैं. वहीं इतिहासकार रामनाथ का कहना था कि ओक कोई इतिहासकार तक नहीं हैं और उनके दावों में कोई सच्चाई नहीं है.