26/11, ये तारीख़ कोई भारतीय कभी नहीं भूल सकता. मुंबई और ताज पर हुए हमले को आज 13 साल गुज़र चुके हैं लेकिन सबके ज़ेहन में अभी भी बन्दूक लिए खड़े कसाब की तस्वीर ताज़ा है. इस हमले में 160 लोगों की मौत हुई थी और कई घायल हुए थे. ये संख्या और भी बढ़ सकती थी अगर कुछ साहसी लोगों ने अपनी जान पर खेल कर दूसरों की जान न बचाई होती.
आज 26/11 की बरसी पर हम ऐसे ही लोगों के साहस और धैर्य को श्रद्धांजलि दे रहे हैं:
कर्मवीर सिंह कांग
कर्मवीर सिंह कांग ताज होटल के जेनेरल मैनेजर थे. जब ये आतंकी हमला हुआ, तब उनका परिवार भी वहीं मौजूद था. लेकिन उन्होंने अपने परिवार से आगे सैंकड़ों लोगों को रखते हुए कई जानें बचाई थी. दुख की बात ये है कि इस हमले में उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों को खो दिया था. कर्मवीर को फ़ोर्ब्स ने ऐसा अदम्य साहस दिखाने के लिए फ़ोर्ब्स पर्सन ऑफ़ द ईयर अवॉर्ड से सम्मानित किया था.
हेमंत करकरे
महाराष्ट्र एटीएस के हेड हेमंत करकरे को रात में क्राइम ब्रांच की तरफ़ से इस हमले की ख़बर मिली. वो तुरंत अपनी टीम के साथ कामा हॉस्पिटल पहुंचे. यहां उनकी टीम ने कसाब और उसके साथियों पर ताबड़-तोड़ हमला किया। आतंकियों ने डर के मारे आंधाधुध फ़ायरिंग करनी शुरू कर दी और इस हमले में वो शहीद हो गए. उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था.
विजय सालस्कर
मुंबई अंडरवर्ल्ड के लिए खौफ़ का प्रयाय बन चुके सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर विजय सालस्कर भी हेमंत करकरे के साथ आंतकियों का मुकाबला कर रहे थे. आतंकवादियों से हुई इस मुठभेड़ में वो भी शहीद हो गए थे. उन्हें भी शांतिकाल के सबसे बड़े सम्मान अशोक चक्र से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था.
तुकाराम ओंबले
मुंबई पुलिस के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर तुकाराम ओंबले की बदौलत ही कसाब को ज़िंदा पकड़ा गया था. उन्हें वायरलेस पर इनपुट मिला था कि आतंकी मरीन ड्राइव की तरफ़ बढ़ रहे हैं. तुकाराम ने उनका रास्ता रोकने के लिए अपनी कार बीच रोड में लगा दी और आंतकियों की गोलियों का सामना किया. घायल होने के बावजूद उन्होंने कसाब को जाने नहीं दिया, अस्पताल में उनकी मौत हो गई. सरकार ने उनके शौर्य के लिए मरणोंपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया.
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन
नेशनल सिक्योरिटी गॉर्ड्स के कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ऑपरेशन ब्लैक टोरनेडो को लीड कर रहे थे. इनकी टीम ने ताज होटल की छठी मंज़िल पर फंसे लोगों को अपनी जान पर खेलकर बचाया था. लेकिन तभी पीछे से आतंकियों ने हमला कर दिया, जिसमें उनके साथी सुनील यादव घायल हो गए. संदीप ने उनको कवर फ़ायर देकर बाहर निकाला पर खु़द आंतकियों की गोली का शिकार हो गए. 2009 में उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था.
सदानन दाते
एडिशनल पुलिस कमिश्नर सदानन दाते और उनकी टीम ने ही कामा हॉस्पिटल में कसाब और उसके साथियों को काउंटर अटैक कर रोका था. वो लगातार आतंकियों की पोजिशन एटीएस हेड हेमंत करकरे को दे रहे थे. हेमंत की टीम के आने के बाद उन्होंने मोर्चा संभाला क्योंकि वो आतंकियों द्वारा फेंके गए ग्रेनेड से घायल हो गए थे. President’s Police Medal से उन्हें बाद में सम्मानित किया गया.
अंजली कुल्थे
कामा हॉस्पिटल की स्टाफ़ नर्स अंजली कुल्थे ने साहस का परिचय दिखाते हुए 20 प्रेग्नेंट महिलाओं की जान बचाई थी. उन्होंने कसाब और उसके एक साथी को अस्पताल के अंदर आते हुए देख लिया था. अंजली ने इसकी ख़बर ऑन ड्यूटी डॉक्टर को दी और सभी महिलाओं और उनके कुछ परिवार वालों को मैटेरनिटी वॉर्ड के आखिर में बने पैंट्री रूम में ले गईं. इसी बीच पुलिस को ख़बर की गई. उन्होंने हॉस्पिटल की लाइट बंद कर दी और कई लोगों को वॉर्ड छोड़ कर टॉयलेट में छुपा दिया.
आर तमिल सेल्वन
मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्टेशन पर जब आतंकी कसाब लोगों को अपनी गोलियों का शिकार बना रहा था, उस वक़्त पार्सल मैन आर तमिल सेल्वन वहीं मौजूद थे. उन्होंने ये ख़ौफनाक मंज़र अपनी आंखों से देखा था पर वो घबराए नहीं और घायलों की मदद करने में जुट गए. उन्होंने पोर्टरों की हाथगाड़ी में घायलों को उठाकर अस्पताल पहुंचाया. इतना ही नहीं, उन्होंने हमले में घायल कई पुलिस वालों की भी मदद की थी.
मुंबई आतंकी हमला सिर्फ़ कसाब जैसे आतंकियों के लिए नहीं, बल्कि इंसानियत और अदम्य सहस का परिचय देने वाले इन शूरवीरों के लिए भी याद रखा जाएगा.
इन्हें हमारा शत-शत नमन.